MSME को मिल सकती है बजट में कई तरह की सहूलियतें

मुंबई– कोरोना के चलते लॉकडाउन का छोटे और मझोले कारोबारियों (MSME) पर सबसे ज्यादा असर हुआ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट में MSME को कई सहूलियतें दे सकती हैं। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि देश की सभी MSME करीब 12 करोड़ लोग काम करते हैं। GDP में इस सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 30% और निर्यात में 40% है। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (IIA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज गुप्ता के अनुसार सरकार को MSME सेक्टर में जान फूंकने लिए रेगुलेशन संबंधित सहूलियतें देनी होंगी।

इंडस्ट्री की मांग जीएसटी, लीगल और टैक्स कंप्लायंस के लिए रजिस्ट्रेशन और एनरॉलमेंट जैसी सुविधाएं एक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराने की है। इसके अलवा सरकार ‘फैक्टर रेगुलेशन एक्ट 2011’ में संशोधन कर सकती है। इससे NBFC को इस सेक्टर के लिए कर्ज मुहैया कराने में आसानी होगी। गुप्ता ने कहा कि यह सेक्टर कोरोना महामारी के पहले से ही नगदी की किल्लत से जूझ रहा था। लॉकडाउन में यह और बढ़ गया, क्योंकि इससे सरकार को सामान बेचने वाले छोटे कारोबारियों पैसा फंस गया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक यह आंकड़ा लगभग 5 लाख करोड़ रु. है। छोटे कारोबारियों के पैसे ज्यादा फंसे हैं।

सरकार का उद्देश्य भारत को बड़े ग्लोबल सप्लाई चेन के रूप में स्थापित करना है। इसके लिए MSME को बूस्टअप देना जरूरी है। MSME सेक्टर में मुख्य रुप से कंपोनेंट और फिनिश्ड प्रोडक्ट्स तैयार किए जाते हैं। सबसे ज्यादा 70% कंपोनेंट तैयार किए जाते हैं। लेकिन दोनों पर अलग-अलग टैक्स का प्रावधान है।

सरकार ने पिछले साल ऑडिट से छूट के लिए टर्नओवर की सीमा 1 करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपए कर दी थी। लेकिन कारोबार में 5% से कम नकद लेनदेन की शर्त से कारोबारियों को मुश्किल हो रही है। सेक्टर से जुड़े लोगों ने बताया कि यहां ज्यादातर काम बकाए पर ही होता है। ऐसे में इस छूट का फायदा नहीं मिल पा रहा है। पिछले साल बजट में इस सेक्टर के लिए 7,572 करोड़ रुपए दिए गए थे।

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