दर्जनों लोग हिरासत में, 400 मोबाइल नंबर सर्विलांस पर, गांव में बाहरी व्यक्ति पर पाबंदी
मुंबई- घटना के एक दिन बाद ही यानी शनिवार को ही पुलिस ने बिकरू गांव को छावनी में तब्दील कर दिया और गांव में किसी भी बाहरी व्यक्ति के आने-जाने पर पाबंदी लगा दी गई। दोपहर बाद उनके आलीशान घर में मौजूद लोगों को बाहर निकालकर पूरा मकान ध्वस्त कर दिया गया।
यही नहीं, घर के बाहर खड़ी कई महंगी गाड़ियों को भी नष्ट कर दिया गया। इस ध्वस्तीकरण में उसी जेसीबी मशीन का इस्तेमाल किया गया जिससे गुरुवार रात को विकास दुबे को गिरफ़्तार करने आ रही पुलिस टीम का कथित तौर पर रास्ता रोका गया था।
विकास दुबे का यह पैतृक घर किस वजह से तोड़ा गया, क्या मकान अवैध तरीक़े से बना था, क्या मकान विकास दुबे के ही नाम पर है और उससे पहले उसे कोई क़ानूनी नोटिस दिया गया था, क्या उसे तोड़ने का कोर्ट का कोई आदेश था, मकान तोड़ने का क्या कोई क़ानूनी प्रावधान है, जैसे सवाल उसके बाद से ही उठने शुरू हो गए हैं।
सोशल मीडिया पर भी ऐसे सवालों की झड़ी लगी हुई है और सवाल न सिर्फ़ कानपुर ज़िला प्रशासन और पुलिस से बल्कि सरकार से भी पूछे जा रहे हैं।
मकान तोड़े जाने की वजह जानने के लिए कानपुर के ज़िलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे कोई जानकारी नहीं मिल सकी।
कानपुर मंडल के आयुक्त सुधीर बोबड़े ने इस बारे में सिर्फ़ इतना बताया, “ग्रामसभा की ज़मीन क़ब्ज़ा करने की बात सामने आई है। एसडीएम ने इस बारे में अपनी रिपोर्ट डीएम को दी है। बाक़ी जानकारी रिपोर्ट देखने के बाद ही दी जा सकती है। दरअसल, ज़िला प्रशासन के पास इस बात की शायद कोई पुख़्ता वजह भी नहीं है कि मकान को ध्वस्त क्यों किया गया, इसीलिए जवाब देने से अधिकारी कतरा रहे हैं।

