कौन हैं मिसेस बैक्टर्स? जानिए कैसे 20 हजार रुपए से खड़ी कर दी 1 हजार करोड़ रुपए की कंपनी
मुंबई– मिसेस बैक्टर्स। जी हां, यह नाम आज शेयर बाजार और निवेशकों के बीच बहुत ही फेमस है। निवेशकों को इसका इंतजार अगले हफ्ते बेसब्री से है। कारण कि 28 दिसंबर को इसका शेयर लिस्ट होगा। तीन साल में यह पहला आईपीओ है जिसे 198 गुना सब्सक्रिप्शन मिला है।
इसके रिस्पांस का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि रिटेल निवेशकों ने 28 गुना ज्यादा पैसा लगाया है। पहले दिन पहले ही घंटे में यह आईपीओ पूरी तरह से भर गया। हम आपको बता रहे हैं कौन हैं मिसेस बैक्टर्स और कैसे 20 हजार रुपए से 1000 करोड़ रुपए की कंपनी खड़ी कर दी।
मिसेस बैक्टर्स मूलरूप से क्रीमिका (Cremica) ब्रांड के नाम से बिस्कुट बनाने वाली कंपनी है। यह रॉ मटेरियल्स भी सप्लाई करती है। इस कंपनी की को-फाउंडर रजनी बेक्टर (Rajni Bector) हैं। पर इस मुकाम तक रजनी कैसे पहुंचीं, इसकी भी कहानी दिलचस्प है। 20 हजार रुपए से उन्होंने बिस्कुट बनाने का कारोबार शुरू किया और यह आज एक हजार करोड़ रुपए की कंपनी है। इसके बाद उन्होंने भारत में अपना कारोबार तलाशना शुरू किया। 1978 में पंजाब के लुधियाना में उन्होंने मिसेस बैक्टर्स फूड स्पेशियालिटी की शुरुआत की। इसके लिए उन्होंने 20 हजार रुपए का इंतजाम किया।
रजनी बैक्टर पाकिस्तान के करांची में पैदा हुईं थीं। बचपन लाहौर में बिताया। उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे। भारत-पाक बंटवारे के समय वह अपने परिवार के साथ दिल्ली चली आई। 17 साल की उम्र में रजनी ने लुधियाना के धरमवीर बैक्टर से शादी की। उसके बाद फिर पढ़ाई पूरी की। शादी के बाद रजनी अपने पति और तीन बेटों की जिम्मेदारी संभालने लगी।
कहते हैं कि बैक्टर को खाना बनाने का बहुत शौक था। उन्होंने पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में एक बेकिंग कोर्स में प्रवेश लिया। कई बार वे जब आइसक्रीम, केक और कुकीज ट्राई बनाती थी तो लोगों को खाने के लिए बुलाती थीं। यहीं से उनकी बात आगे बढ़ी। कुछ लोगों ने रजनी को अपना कारोबार शुरू करने का सुझाव दिया। लोगों की सलाह पर उन्होंने आइसक्रीम बनाना शुरू किया और 1978 में 20 हजार रुपए लगातर बिस्कुट, कुकीज और केक बनाने का काम शुरू कर दिया।
आज मिसेस बैक्टर्स कंपनी के बिस्कुट, ब्रेड और आइसक्रीम 60 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट किए जाते हैं। मिसेस बैक्टर्स फास्ट फूड चेन मैक्डोनाल्ड्स और बर्गर किंग को भी ब्रेड सप्लाई करती है। यह वही बर्गर किंग है जिसका आईपीओ एक हफ्ते पहले 156 गुना भरा था। 60 रुपए के इस आईपीओ का भाव तीन दिन में 3 गुना बढ़ कर 219 रुपए पर पहुंच गया था। मिसेस बैक्टर को आईपीओ से वैसे तो केवल 540 करोड़ रुपए ही जुटाने थे। लेकिन सब्सक्रिप्शन के आधार पर इसे एक लाख करोड़ रुपए के लिए रिस्पांस मिला है। उम्मीद है कि लिस्टिंग में यह शेयर निवेशकों को अच्छा मुनाफा दे सकता है।
Mrs Bectors का क्रेमिका नॉन-ग्लूकोज सेगमेंट में उत्तर भारत का प्रमुख बिस्कुट ब्रैंड है। 2013 में रजनी बैक्टर के तीन बेटों, अजय, अनूप और अक्षय बैक्टर के बीच कारोबार को बराबर-बराबर बांटा गया था। कंपनी में तेजी तब आई जब परिवार के अन्य सदस्य 1990 में कंपनी से जुड़े। उस समय कंपनी का नाम क्रीमिका था। 1990 के मध्य में कंपनी को बड़ा ब्रेक मिला, जब मैकडोनाल्ड ने भारत में प्रवेश किया और इसके साथ मटेरियल की सप्लाई के लिए एग्रीमेंट किया।
1996 में इस कंपनी ने कैडबरी और आईटीसी जैसी कंपनियों को भी सप्लाई करना शुरू किया। इसके लिए यह कंपनी फिलौर (पंजाब) फैक्टरी में प्रोडक्ट बनाती थी। 1999 में इसने अपना नाम बदलकर मिसेस बैक्टर्स फूड स्पेशियालिटी कर दिया। हालांकि इससे बिजनेस पर कोई असर नहीं हुआ और 2006 में इसने पहली बार 100 करोड़ रुपए के कारोबार के आंकड़े को पार किया।
साल 2006 में ही इस कंपनी में ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म गोल्डमैन सैश ने 10 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीदी। इसके लिए उसने 50 करोड़ रुपए का पेमेंट किया। इस पैसे से कंपनी ने बिजनेस को बढ़ाया और ग्रेटर नोएडा, मुंबई तथा हिमाचल प्रदेश में ऑटोमेटेड प्लांट को डेवलप किया। 2010 में गोल्डमैन ने अपनी हिस्सेदारी मोतीलाल ओसवाल को बेच दी और कंपनी से निकल गया। कंपनी के पास कुल 4 हजार कर्मचारी हैं। 6 इन -हाउस मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी हैं।