सरकारी गोदामों में चावल का भंडार 12 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 5.75 करोड़ टन के स्तर पर
मुंबई-सरकारी एजेंसियों की ओर से नई फसल के धान की खरीद में तेजी लाने के बाद गोदामों में चावल का भंडार पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 12 फीसदी बढ़कर दिसंबर की शुरुआत में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। बढ़ते भंडार से दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक देश को निर्यात बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इससे थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान जैसे प्रतिद्वंद्वी देशों से आपूर्ति पर दबाव पड़ेगा।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, एक दिसंबर तक बिना पिसे धान सहित चावल का सरकारी भंडार रिकॉर्ड 5.75 करोड़ टन था, जो एक जनवरी के लिए सरकार के तय लक्ष्य से अधिक है। एक दिसंबर को गेहूं का भंडार 2.91 करोड़ टन था, जो पिछले वर्ष के 2.06 करोड़ टन से अधिक है। वैश्विक व्यापार संगठन के एक डीलर ने बताया, सरकारी एजेंसियों को किसानों से बड़ी मात्रा में गेहूं खरीदना पड़ रहा है, क्योंकि खुले बाजार में कीमतें सरकार के तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम हैं।
उन्होंने कहा, सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर गेहूं खरीदने के बावजूद व्यापारियों के पास निर्यात के लिए पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। एक अक्तूबर को विपणन वर्ष की शुरुआत से लेकर अब तक सरकार ने किसानों से 4.22 करोड़ टन धान की खरीद की है। मुंबई के एक व्यापारी ने कहा, निर्यात की मांग फिलहाल बहुत मजबूत नहीं है, लेकिन रुपये के कमजोर होने से व्यापारियों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर सौदे करने में मदद मिल रही है। भारतीय रुपया इस महीने रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया, जिससे विदेशी बिक्री पर व्यापारियों का मुनाफा बढ़ गया।
निर्यात 37 फीसदी बढ़कर 1.84 करोड़ टन
वैश्विक चावल निर्यात का लगभग 40 फीसदी हिस्सा भारत के पास है। इसने पिछले मार्च में चावल पर लगे सभी निर्यात प्रतिबंध हटा दिए थे। 2025 के पहले 10 महीनों में भारत का चावल निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में 37 फीसदी बढ़कर 1.84 करोड़ टन हो गया। चावल निर्यात संघ को उम्मीद है कि भारत से चावल की आपूर्ति पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 25 फीसदी बढ़कर इस वर्ष रिकॉर्ड 2.25 करोड़ टन तक पहुंच जाएगी। चावल के साथ गेहूं का भंडार भी इस वर्ष पर्याप्त है। इससे सरकार को खाद्यान्न की कीमतों को अधिक प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में मदद मिल रही है।

