क्विक और ई-कॉमर्स के कारण मुश्किलों का सामना कर रहे देश के छोटे किराना स्टोर
मुंबई- देश में क्विक और ई-कॉमर्स के बढ़ने से किराना स्टोरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। फेडरेशन ऑफ रिटेलर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफआरएआई) ने छोटे और मध्यम खुदरा विक्रेताओं को बचाने के लिए सरकार से एक समर्पित तकनीकी प्लेटफॉर्म बनाने का आग्रह किया है, जो उन्हें हाइपरलोकल डिलीवरी प्लेटफॉर्म के साथ समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद करेगा।
इंडियन सेलर्स कलेक्टिव के राष्ट्रीय समन्वयक और एफआरएआई के मानद प्रवक्ता अभय राज मिश्रा ने कहा, छोटे रिटेलर्स और किराना दुकानदारों को एक ऐसी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जो पहले कभी उनके सामने नहीं आई, क्योंकि ई-कॉमर्स और क्विक-कॉमर्स प्लेटफॉर्म मार्केट को नया स्वरूप दे रहे हैं। क्विक और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के विस्तार से हजारों स्थानीय किराना एवं किराना दुकान मालिकों की आय एवं आजीविका में भारी गिरावट आ रही है। ब्लिंकिट एवं जेप्टो जैसे क्विक कॉमर्स की ओर ग्राहकों के झुकाव के कारण पिछले साल दो लाख किराना स्टोर बंद हो गए थे।
मुंबई में ऑफलाइन किराना स्टोर्स को लेकर जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट में कहा गया कि क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के डार्क स्टोर के तेजी से विस्तार के कारण किराना दुकानों की बिक्री में 60 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। एफआरएआई के मुताबिक, कुछ सालों में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने भारी डिस्काउंट, क्विक डिलीवरी के वादों और आक्रामक मार्केटिंग अभियान के जरिये ग्राहकों के व्यवहार में बदलाव किया है। इससे छोटे रिटेलर्स को मुकाबले के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इस कारण से किराना स्टोर्स में आने वालों और उनकी बिक्री में बड़ी गिरावट देखी जा रही है। विदेशी फंडिंग वाली ई-कॉमर्स एवं क्विक कॉमर्स कंपनियों के छोटे रिटेलर इकोसिस्टम से जुड़ने के तरीके से समस्या और भी जटिल हो गई है।

