भेदभाव बढ़ाने के साथ प्राइवेसी को खत्म कर सकती हैं तकनीक – अरुंधति भट्टाचार्य

मुंबई। जेनरेटिव एआई और मशीन लर्निंग जैसे साधन हेल्थकेयर में डायग्नोसिस को तेज कर सकते हैं। अडैप्टिव लर्निंग के जरिये एजुकेशन तक पहुंच बढ़ा सकते हैं और सरकारों को तेजी से सेवा देने में मदद कर सकते हैं। लेकिन वही टेक्नोलॉजी अगर बिना साफ फ्रेमवर्क के इस्तेमाल की जाएं तो भेदभाव बढ़ा सकती हैं। प्राइवेसी खत्म कर सकती हैं या रेगुलेशन से आगे निकल सकती हैं।

सेल्सफोर्स की दक्षिण एशिया और एसबीआई की पूर्व प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य ने एक कार्यक्रम में कहा, यह पक्का करना हमारी जिम्मेदारी है कि टेक्नोलॉजी इंसानियत की सेवा करे। इस साल इस इलाके में सॉवरेन एआई मॉडल्स पर फोकस तेज हुआ है, जो राष्ट्रीय नीति और वैश्विक प्लेटफॉर्म के असर को लेकर चिंताओं, दोनों की वजह से हुआ है। इस इलाके में टेक्नोलॉजी की अगली तरक्की में इंसानी सोच वाले डिजाइन को प्राथमिकता देनी चाहिए।

भट्टाचार्य ने कहा, डिजिटल फाइनेंस, स्वास्थ्य और शिक्षा में तरक्की इतनी तेजी से हो रही है कि इसके लिए नए सुरक्षा उपायों की जरूरत है। कंपनियों को अपने एआई सिस्टम की बुनियाद में एथिक्स, प्राइवेसी और जिम्मेदारी को शामिल करने की जरूरत है। हमने टेक्नोलॉजी को अंदर से इकोनॉमिक सिस्टम को नया आकार देते देखा है। वित्तीय समावेशन में भारत का अनुभव दिखाता है कि कैसे डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर पूरी कम्युनिटी को ऊपर उठा सकता है।

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