पहली छमाही में बैंकों के शुद्ध ब्याज मार्जिन में आ सकती है भारी गिरावट
मुंबई- बैंकों के शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम)में चालू वित्त वर्ष यानी 2025-26 की पहली छमाही में दबाव आने की उम्मीद है। मोतीलाल ओसवाल की बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि दूसरी छमाही में इस रुझान में सुधार आ सकता है। पहली छमाही के दौरान एनआईएम में गिरावट बेंचमार्क ब्याज दरों में कमी के कारण होगी, जिससे बैंकों में कर्ज देने के यील्ड में कमी आने की संभावना है।
रिपोर्ट के अनुसार, अनुमान है कि बैंकों के लिए फंडिंग लागत में देरी से समायोजन होता है, भले ही अधिकांश बैंकों ने पहले ही बचत खाता (एसए) और सावधि जमा (टीडी) दरों में कमी कर दी है। इस बेमेल के कारण पहली छमाही में एनआईएम पर दबाव रहने की उम्मीद है। विभिन्न बैंकों पर इसका प्रभाव अलग-अलग होगा। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उनके लोन बुक का कितना हिस्सा रेपो दर से जुड़ा है। इस कारण पहली तिमाही में एनआईएम में दोहरे अंकों की गिरावट आ सकती है।
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर, 2025 से प्रभावी जमा दरों में चरणबद्ध कटौती और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में एक फीसदी की कटौती से बैंकिंग प्रणाली में तरलता में सुधार होने की उम्मीद है। इन कदमों से वर्ष के उत्तरार्ध में बैंकों के मार्जिन को कुछ राहत मिलने की संभावना है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि बैंकों की शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) में सालाना आधार पर 1.7 प्रतिशत की धीमी वृद्धि होगी। तिमाही आधार पर 0.6 प्रतिशत की गिरावट आएगी।
निजी बैंकों का शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 2.5 प्रतिशत घट सकता है। तिमाही आधार पर इसमें 2.8 प्रतिशत की वृद्धि होगी। सरकारी बैंकों का शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 4.8 प्रतिशत बढ़ेगा, लेकिन तिमाही आधार पर यह 11.7 प्रतिशत घटेगा। कुल मिलाकर, तिमाही आधार पर शुद्ध फायदा सालाना आधार पर 4.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ स्थिर रहेगा। वित्त वर्ष 2024-25 से 2026-27 के दौरान बैंकिंग क्षेत्र के लिए आय में 11.1 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर का अनुमान है।

