खुदरा निवेशकों के लिए मिड और स्मॉलकैप में निवेश हो सकता है जोखिम
मुंबई- पिछले दशक में भारतीय इक्विटी में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ी है। हालांकि, यह भी पता चलता है कि उनके निवेश विविध हैं।लेकिन लार्ज और मिडकैप की तुलना में उनका ज्यादा निवेश स्मॉलकैप में है। इसलिए स्मॉलकैप में ज्यादा निवेश से खुदरा निवेशकों को जोखिम हो सकता है।
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू परिवारों द्वारा भारतीय इक्विटी को मजबूती मिल रही है। इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में व्यक्तिगत निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और संबंधित जोखिमों को लेकर पहले भी आरबीआई ने चेताया था। तब से सेबी ने कई महत्वपूर्ण उपाय किए हैं। इस वजह से दिसंबर, 2024 और मार्च, 2025 के बीच औसत दैनिक कारोबार मूल्य और प्रति माह कारोबार करने वाले खुदरा निवेशकों की संख्या में क्रमशः 14.4 प्रतिशत और 12.4 प्रतिशत की गिरावट आई। दिसंबर, 2023 और मार्च, 2024 के बीच क्रमशः 47.6 प्रतिशत और 101.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
भारतीय इक्विटी बाजार में कमजोर आय, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और वैश्विक बिकवाली के कारण अक्तूबर, 2024 से फरवरी, 2025 तक भारी गिरावट आई थी। मार्च से काफी हद तक ठीक हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार, बहरहाल, 10 जून तक बीएसई और एनएसई सूचकांक रिकॉर्ड स्तर की तुलना में 3 से 8 प्रतिशत कम थे। कुल बाजार पूंजीकरण 2024 के शीर्ष से सात फीसदी कम है। भारतीय इक्विटी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की हिस्सेदारी दशक के निचले स्तर पर पहुंच गई है। एनएसई की सूचीबद्ध कंपनियों में घरेलू संस्थागत निवेशकों का हिस्सा एफपीआई से ज्यादा हो गया है।