15 साल में बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का बड़ा हादसा, सुरक्षित विमानों में है गिनती

मुंबई- बोइंग 787 ड्रीमलाइनर को आधुनिक और सुरक्षित विमानों में गिना जाता है। 2009 में पहली बार उड़ान भरने और 2011 से कमर्शियल सेवा में आने के बाद से यह विमान दुनिया भर में करीब 15 वर्षों से उड़ान भर रहा था।

हालांकि, इस मॉडल को पहले कुछ तकनीकी चुनौतियों जैसे बैटरी फेल्योर और स्ट्रक्चरल गैप जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा था, लेकिन कोई बड़ा हादसा इससे पहले नहीं हुआ था। बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर एक मिड-साइज, ट्विन-इंजन, वाइड-बॉडी जेट है, जिसे खासतौर पर लंबी दूरी की उड़ानों के लिए डिजाइन किया गया है।

खासियतें: अधिकतम रेंज: 14,000 किलोमीटर, यात्री क्षमता: लगभग 200-250 पुराने विमानों की तुलना में 20-25% कम ईंधन खपत। इस विमान को बोइंग ने 2003 में 7ई7 प्रोजेक्ट के तहत विकसित करना शुरू किया था और इसे जनता के वोट से ‘ड्रीमलाइनर’ नाम मिला।

भारत में एयर इंडिया ने 2012 में इस विमान को अपने बेड़े में शामिल किया था। ड्रीमलाइनर का इस्तेमाल एयर इंडिया दिल्ली-न्यूयॉर्क, मुंबई-लंदन और टोक्यो जैसे लंबे रूट्स के लिए करती है। विमान का करीब 50% हिस्सा कार्बन फाइबर और अन्य हल्के मटेरियल से बना है, जिससे वजन कम और मजबूती ज्यादा होती है।

विशाल खिड़कियां: ड्रीमलाइनर की खिड़कियां किसी भी कमर्शियल विमान में सबसे बड़ी मानी जाती हैं। इसमें 1,900 मीटर ऊंचाई जैसा प्रेशर बनाया जाता है, जिससे यात्रियों को ऑक्सीजन ज्यादा मिलती है और थकान कम होती है। रंग बदलती लाइट्स टाइम जोन के प्रभाव को कम करने में मदद करती हैं। अन्य विमानों की तुलना में 60% कम शोर।

बोइंग 787-8 में दो शक्तिशाली इंजन विकल्प होते हैं। रोल्स-रॉयस ट्रेंट 1000 या जनरल इलेक्ट्रिक जीईएनएक्स। इसकी क्रूज स्पीड लगभग मैक 0.85 होती है और इसके विंगटिप्स को खास तरीके से डिजाइन किया गया है ताकि हवा का प्रतिरोध और टर्बुलेंस कम हो सके। एयरलाइंस के अनुसार लेआउट बदलते हैं, जैसे कुछ में 3-3-3 इकोनॉमी व्यवस्था तो कुछ में प्रीमियम इकोनॉमी और बिजनेस क्लास की अतिरिक्त सीटें।

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