एनबीएफसी और एचएफसी की नकदी बढ़ाने के लिए आरबीआई ने पास की स्कीम
मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) के जरिए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) की नकदी बढ़ाने के लिए एक स्कीम पास कर दी है। इस सुविधा से फाइनेंशियल सेक्टर में अगर कोई दिक्कत आती है तो उससे बचने में मदद मिलेगी। यह एसपीवी सरकार के जरिए की गई है। उन कंपनियों को इसका फायदा नहीं मिलेगा जो कंपनियां कोर इनवेस्टमेंट के रूप में रजिस्टर हैं। वे इस स्कीम के दायरे से बाहर रहेंगी।
आरबीआई के अनुसार इस दायरे में माइक्रोफाइनेंस सहित वो सभी एनबीएफसी आएंगी, जो आरबीआई एक्ट 1934 के तहत रजिस्टर हैं। उन्हें इस स्कीम का फायदा मिलेगा। इसके तहत नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) के तहत जो एचएफसी रजिस्टर्ड हैं, उन्हें भी इसका फायदा मिलेगा। नियमों के अनुसार, उन कंपनियों को इसका लाभ मिलेगा, जो एक अगस्त 2018 से पहले एक साल में एनबीएफसी और एचएफसी के खिलाफ किसी बैंक ने स्पेशल मेंशन अकाउंट कैटिगरी में उनकी बॉरोइंग के लिए कोई रिपोर्ट ना की हो।
नियमों के मुताबिक इसका फायदा तभी मिलेगा, जब पिछले दो वित्तीय वर्ष यानी 2017-18 और 2018-19 में किसी भी एक साल में एनबीएफसी और एचएफसी लाभ में रहेंगी। सेबी की रजिस्टर्ड रेटिंग के हिसाब से एनबीएसी और एचएफसी इनवेस्टमेंट ग्रेड में रेटिंग होनी चाहिए।
इसी तरह 31 मार्च 2019 तक एनबीएफसी और एचएफसी की सीआरएआर (कैपिटल टू रिस्क एसेट्स रेशियो) 15 फीसदी और सीआरआर (कैपिटल एडेक्वेसी रेशियो) 12 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए। यह सीमा रेगुलेटर के मुताबिक न्यूनतम है। इसी तरह दोनों सेक्टर का 31 मार्च 2019 तक कुल लोन का 6 प्रतिशत से ज्यादा एनपीए नहीं होना चाहिए।