छोटे व्यवसायों की जुटाई गई रकम के इस्तेमाल पर ध्यान रखने की जरूरत

नई दिल्ली। छोटे कारोबारियों की ओर से तमाम साधनों के जरिये जुटाई जा रही भारी-भरकम रकम अब बैंकों के लिए चिंता बनती जा रही है। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के चेयरमैन सी.एस. शेट्टी ने कहा, इन व्यवसायों की ओर से जुटाई गई रकम के इस्तेमाल पर ध्यान रखने की जरूरत है। जिस काम के लिए पैसा लिया गया हो, उसी पर खर्च किया जाना चाहिए।

सेबी की प्रवर्तित एनआईएसएम की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में शुक्रवार को शेट्टी ने कहा, इन व्यवसायों की ओर से जुटाई गई रकम के अंतिम इस्तेमाल पर नजर रखने के लिए बाजार बुनियादी ढांचा संस्थान के निर्माण की जरूरत है। यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र की जरूरत है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निधियों का इस्तेमाल उन्हीं उद्देश्यों के लिए किया जाए जिनके लिए उन्हें जुटाया गया है।

उन्होंने कहा, इस काम के लिए संभवतः एक अलग बाजार इन्फ्रास्ट्रक्चर संस्थान की स्थापना की जाएगी, जिसके पास उधार ली गई या शेयर के जरिये जुटाई गई निधियों के इस्तेमाल पर नजर रखने का अधिकार होगा। इस तरह के प्लेटफॉर्म के निर्माण से ऋणदाताओं के साथ-साथ निवेशकों को भी सुविधा मिलेगी तथा मूल्य निर्धारण अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएगा।

शेट्टी ने कहा, विकास की आकांक्षाओं को हासिल करने के लिए बड़ी मात्रा में पूंजी की जरूरत होगी। युवा धन का एक बड़ा स्रोत होंगे, यह सुनिश्चित करना म्यूचुअल फंड और प्राथमिक बाजारों की जिम्मेदारी है कि पैसा बर्बाद न हो, जैसा कि हाल में डेरिवेटिव सेगमेंट में हुआ है। विकास के एजेंडे को हासिल करने के लिए घरेलू बचत दर को वर्तमान स्तर से कम से कम 3.50 प्रतिशत बढ़ाकर 33.5 प्रतिशत करना होगा। इसमें पूंजी बाजार की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ऋणदाताओं पर धन के अंतिम इस्तेमाल की निगरानी करने का दबाव पहले से ही बना रहा है। खासकर छोटे व्यवसायों द्वारा उधार लिए गए धन के इस्तेमाल पर उसका ज्यादा जोर है। पिछले साल मार्च में उसने ऋणदाताओं से निधि के अंतिम उपयोग की निगरानी करने को कहा था। अनुमान है कि कुछ असुरक्षित कर्ज का इस्तेमाल डेरिवेटिव मार्केट के जोखिम भरे क्षेत्रों में दांव लगाने के लिए किया जा रहा है।

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