मनमोहन सिंह के नौकरशाह ने की मोदी की तारीफ, बोले देश अच्छे रास्ते पर
मुंबई- योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा, सरकार को खाद सब्सिडी देने के बजाय किसानों के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना लानी चाहिए। जो भी सब्सिडी है, वह सीधे किसानों तक पहुंचाने की जरूरत है। उर्वरक सब्सिडी से किसानों को फायदा होने की बजाय घाटा हो रहा है। साथ ही, मिट्टी के स्वास्थ्य को भी नुकसान हो रहा है।
अहलूवालिया ने कहा, कई कृषि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि उर्वरक सब्सिडी पर बड़ी रकम खर्च करने के बजाय, हम किसानों को पीएलआई दें। कम से कम हमें केवल एक इनपुट पर सब्सिडी देना बंद कर देना चाहिए, क्योंकि इससे विकृतियां पैदा होती हैं। बेहतर उपाय के लिए किसानों, अर्थशास्त्रियों और उद्योग विशेषज्ञों को शामिल करते हुए विस्तृत चर्चा करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, मोबाइल विनिर्माण और सेमीकंडक्टर जैसे नए उद्योगों में पीएलआई सफल रही है। पीएलआई को उन उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जहां हमारे पास चिप्स, फैब और बैटरी विनिर्माण जैसे अनुभव की कमी है। परिधान एक ऐसा क्षेत्र जिसे हम पहले से ही अच्छी तरह से जानते हैं। इसलिए इसमें पीएलआई का कोई मतलब नहीं है। ऐसे क्षेत्रों में समस्याएं अक्सर लॉजिस्टिक्स, श्रम कानूनों या व्यापार करने में आसानी से संबंधित होती हैं, न कि सब्सिडी की कमी से।
अहलूवालिया ने कहा, भारत को सुधारों की दूसरी पीढ़ी की जरूरत है। इसके बिना हम विकसित भारत के लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएंगे। एक स्पष्ट नीति रोडमैप की जरूरत है। देश एक महत्वपूर्ण चरण से गुजर रहा है, जहां अर्थव्यवस्था बहुत अधिक जटिल हो गई है और आर्थिक विकास की उचित योजना की जरूरत है। ऐसी कई चीजें हैं जिन्हें भारत में करने की जरूरत है। मैं इन सभी को दूसरी पीढ़ी के सुधार कहूंगा; आप जानते हैं, 1991 एक बहुत बड़ा परिवर्तन था और इसका जबरदस्त असर हुआ। डॉ. मनमोहन सिंह, जो अब हमारे साथ नहीं हैं, इसके प्रमुख निर्माता थे।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि हम अब एक ऐसे चरण में हैं जहां अर्थव्यवस्था बहुत अधिक जटिल हो गई है। हमारे सामने आने वाली अधिक जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए आपको सुधारों के एक नए सेट की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि किसी को उनकी रूपरेखा तैयार करनी चाहिए और जब तक हम इसे पूरा नहीं कर लेते, तब तक हम विकसित भारत तक पहुंच पाएंगे।
अहलूवालिया ने कहा, इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था करीब 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है और यह इसी दर से बढ़ती रहेगी। लेकिन यह विकसित भारत के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसे हासिल करने के लिए विकास दर आठ से दस प्रतिशत के बीच होनी चाहिए। सरकारें अकेले सबकुछ नहीं कर सकतीं, हमें इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निजी निवेश को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। लेकिन किसी तरह सरकार के प्रयासों के बावजूद निजी निवेश अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है।