प्रमुख देशों की तुलना में भारतीय बैंकों का एनपीए सबसे कम, 0.57 फीसदी पर आया

मुंबई- भारतीय बैंकों ने पिछले एक दशक में दुनियाभर के बैंकों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। इसका असर यह हुआ कि 20 प्रमुख देशों में शुद्ध रूप से बुरे फंसे कर्जों यानी शुद्ध एनपीए के मामले में हमारे बैंक सबसे आगे हैं। सितंबर तिमाही में इनका शुद्ध एनपीए घटकर 0.57 फीसदी रह गया है। जबकि सकल एनपीए 13 साल के निचले स्तर 2.5 फीसदी पर आ गया है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की रिपोर्ट के अनुसार, एनपीए को कम करने में सबसे बेहतर प्रयास ग्रीस का रहा है। 2015 में इसका एनपीए 35.71 फीसदी था जो अब 6.65 फीसदी पर आ गया है। हालांकि, प्रमुख 20 देशों में यह अभी भी सबसे ज्यादा है। ग्रीस ने अपने ऐतिहासिक रूप से उच्च एनपीए अनुपात को कम करने में 2018 से उल्लेखनीय प्रगति की है।

रिपोर्ट के मुताबिक, एडवांस देशों में 2015 से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक एनपीए स्थिर रहा है। ऑस्ट्रेलिया का शुद्ध एनपीए 2015 में 0.89 फीसदी था, जो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 0.95 फीसदी रहा है। कनाडा का 0.52 फीसदी से 0.48 फीसदी, डेनमार्क का 3.28 फीसदी से 0.93 फीसदी, यूके का 1.01 फीसदी से 0.99 फीसदी और अमेरिका का एनपीए 1.47 से 0.90 फीसदी पर आ गया है।

यूरो जोन की बात करें तो स्पेन का एनपीए 5.09 फीसदी से कम होकर 3.04 फीसदी, बेल्जियम का 3.85 फीसदी से घटकर 1.88 फीसदी, फ्रांस का 3.52 फीसदी से 2.06 फीसदी, ग्रीस का 35.71 फीसदी से 6.65 फीसदी, आयरलैंड का 16.91 फीसदी से 1.32 फीसदी और नीदरलैंड का 2.71 फीसदी से घटकर 1.54 फीसदी पर आ गया है।

कर्ज और जमा में लगातार विस्तार से बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत बनी हुई है। शुद्ध एनपीए कम होकर सितंबर अंत तक 0.57 फीसदी रह या है। मार्च में यह 0.62 फीसदी रहा था। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के भी बुरे फंसे कर्ज में सुधार आया है। इनका खाता बही 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ा है।

वित्त वर्ष 2023-24 में लगातार छठे वर्ष लाभप्रदता में सुधार हुआ। केंद्रीय बैंक ने कहा, बैंकों को जोखिम प्रबंधन और आईटी गवर्नेंस मानकों को मजबूत करने की जरूरत है। संदिग्ध और असामान्य लेनदेन सहित बेईमान गतिविधियों की जांच पर ध्यान केंद्रित करना होगा। एनबीएफसी को ग्राहक शिकायत प्रथाओं को मजबूत करने और अत्यधिक ब्याज दरों से बचने की जरूरत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *