कर्ज देने वाले अवैध संस्थानों पर एक करोड़ तक जुर्माना, 7 साल की कैद

मुंबई- केंद्र सरकार ने बिना नियम और अवैध तरीके से कर्ज देने वाले संस्थानों पर लगाम कसने की तैयारी की है। ऐसे संस्थानों पर भारी-भरकम जुर्माने के साथ 10 साल तक की सजा भी हो सकती है। इसका प्रावधान करने वाले एक नए विधेयक का प्रस्ताव सरकार ने रखा है। इस पर शेयरधारकों से 13 फरवरी तक राय मांगी गई है। डिजिटल ऋण पर आरबीआई के कार्य समूह ने नवंबर 2021 में रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

गैर-विनियमित ऋण गतिविधियों पर प्रतिबंध (बीयूएलए) शीर्षक वाले विधेयक में भारतीय रिजर्व बैंक या अन्य नियामकों की तरफ से अधिकृत नहीं किए गए और किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत नहीं हुए सभी व्यक्तियों या संस्थाओं को सार्वजनिक उधारी कारोबार से प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव है।

विधेयक के मसौदे में गैर विनियमित ऋण गतिविधियों को ऐसे कर्ज के रूप में परिभाषित किया गया है जो विनियमित ऋण को नियंत्रित करने वाले किसी भी कानून के दायरे में नहीं आते हैं, चाहे वे डिजिटल रूप से किए गए हों या अन्य माध्यमों से। मसौदे के अनुसार, रिश्तेदारों के कर्ज को छोड़कर अन्य किसी भी गैर विनियमित ऋण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने और उधारकर्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए व्यापक तंत्र बनाने के लिए अधिनियम लाने का भी प्रस्ताव है। अगर कोई भी ऋणदाता इस कानून का उल्लंघन करते हुए कर्ज देता है तो उसे कम से कम दो साल की कैद की सजा होगी। इसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा दो लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

प्रस्तावित विधेयक में कर्जदारों को परेशान करने या कर्ज वसूली के लिए गैरकानूनी तरीकों का इस्तेमाल करने वाले कर्जदाताओं को तीन से लेकर 10 साल तक की कैद और जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया है। अगर ऋणदाता, उधारकर्ता या संपत्ति कई राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों में स्थित है या कुल राशि सार्वजनिक हित को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने के लिए बड़ी है तो जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी जाएगी।

पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें भोले-भाले लोगों को धोखाधड़ी वाले कर्ज एप के जरिये ठगा गया है। कुछ मामलों में जबरन वसूली के तरीके अपनाए जाने से दुखी होकर कई कर्जदारों ने आत्महत्या भी कर ली। इनके प्रसार पर रोक लगाने के लिए सरकार ने सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि वे धोखाधड़ी वाले ऋण ऐप के विज्ञापन न दिखाएं। गूगल ने सितंबर, 2022 और अगस्त, 2023 के बीच प्ले स्टोर से इस तरह के 2,200 से अधिक कर्ज एप हटा दिए थे।

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