ऊंची ब्याज दरें भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ी बाधा, कई देशों में कम हैं दरें

मुंबई- ऊंची ब्याज दरें भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ी बाधा है। वाणिज्य मंत्रालय इस मोर्चे पर उनकी मदद करने के लिए वित्त मंत्रालय के साथ बात कर रहा है। विदेश व्यापार के महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी ने कहा, वाणिज्य विभाग ब्याज समानीकरण योजना की प्रासंगिकता और विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखने की सीमा के बारे में वित्त मंत्रालय से बात कर रहा है।

सारंगी ने सीआईआई के एक कार्यक्रम में बुधवार को कहा, वित्तीय संस्थानों द्वारा बहुत अधिक गारंटी की मांग सूक्ष्म, छोटे और मझलों उद्योगों (एमएसएमई) के लिए संस्थागत वित्त तक पहुंचने में एक बड़ी बाधा है। यह उन्हें निर्यात बाजार में आने से रोकती है। एमएसएमई के लिए गारंटी मुक्त या रियायती गारंटी व्यवस्था पर खर्च विभाग के साथ बात हो रही है।

भारत में अन्य देशों की तुलना में ब्याज दरें काफी ऊंची हैं। भारत में रेपो रेट 6.5 फीसदी है, जबकि कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में यह 2.5 फीसदी से 3.5 फीसदी के बीच है। इसलिए यह हमारे निर्यातकों, विशेषकर एमएसएमई के लिए निर्यात प्रतिस्पर्धी बनने में एक बड़ी बाधा रही है। ब्याज समानीकरण योजना बहुत उच्च ब्याज दरों को आंशिक रूप से बेअसर करने में सक्षम है। यह योजना 31 दिसंबर तक के लिए वैध है।

नवंबर में भारत का निर्यात सालाना आधार पर 4.85 प्रतिशत घटकर 32.11 अरब डॉलर रहा। सोने के आयात में रिकॉर्ड वृद्धि के कारण व्यापार घाटा बढ़कर 37.84 अरब डॉलर के सार्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया।

सारंगी ने कहा, भारत को भविष्य में यूरोपीय संघ (ईयू) कार्बन टैक्स जैसी संभावित गैर-टैरिफ और एकतरफा शुल्क संबंधी बाधाओं से निपटने के लिए खुद को तैयार करना होगा। अमेरिका और ईयू जैसे देश ऐसे उपायों के जरिये अपने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां हमारे टैरिफ चरम पर हैं लेकिन जरूरी नहीं कि हम अमेरिका को निर्यात करें।

सारंगी ने कहा, उदाहरण के लिए, कृषि में भारत में उच्च शुल्क हैं लेकिन यह अमेरिकी बाजार में निर्यात नहीं करता है। अगर अमेरिका उस पर शुल्क लगाएगा, तो इससे हमें कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा, लेकिन कुछ चीजें ऐसी होंगी, जहां ज्यादा शुल्क हमें प्रभावित कर सकता है। चीन का ई-कॉमर्स निर्यात सालाना लगभग 300-350 अरब डॉलर था, जबकि भारत का केवल 5-7 अरब डॉलर प्रति वर्ष है।

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