विकसित भारत के लिए कम खेती वाले किसानों की आय तेजी से बढ़ाने की जरूरत
मुंबई- प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने कहा, 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए कम जमीन वाले किसानों पर अधिक ध्यान देने और उनकी आय बढ़ाने की रणनीति बनाने की जरूरत है। पिछले दशक में केंद्र व राज्य दोनों स्तरों पर छोटे और सीमांत किसानों की सहायता के लिए सरकारों ने पहल की है।
आरबीआई के एक कार्यक्रम में पीके मिश्रा ने कहा, फसल विविधीकरण, टेक्नोलॉजी का उपयोग, फसल के बाद के नुकसान को कम करने व भंडारण जैसी समस्याओं को हल करने पर जोर दिया गया है। साथ ही, प्रत्यक्ष किसान-ग्राहक प्लेटफॉर्म, ग्रामीण औद्योगीकरण और किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना जैसे कई उपाय करने का प्रयास किया गया है।
उन्होंने कहा, हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि छोटे जमीन धारकों पर अधिक ध्यान देने और उनकी आय बढ़ाने के लिए रणनीति बनाने होगी। अधिक लाभदायक फसलों, पशुधन और मत्स्य पालन की दिशा में विविधीकरण करना होगा। छोटे किसानों के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग कर उनकी उत्पादकता बढ़ानी होगी। भारत की कृषि पर छोटे किसानों का वर्चस्व है। निकट भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा। 16.8 करोड़ हेक्टेयर जमीन खेती के लायक है। इनमें से 88 फीसदी हिस्सा 2 हेक्टेयर से कम वाली जमीन हैं।
पीके मिश्रा ने कहा, 1970 के बाद के पांच दशकों में अमेरिका और कनाडा में खेत का आकार क्रमशः 157 और 187 हेक्टेयर से बढ़कर 178 और 331 हेक्टेयर हो गया है। डेनमार्क, फ़्रांस, नीदरलैंड्स में इस दौरान खेत के आकार में तीन गुना वृद्धि हुई है। इसके विपरीत एशिया में छोटी खेती वाली जमीनें तेजी से घटी हैं। अधिक समावेशी और टिकाऊ आर्थिक विकास के लिए आय में कृषक परिवारों की हिस्सेदारी ज्यादा होनी जरूरी है।