सोने के एवज में दिए जा रहे कर्ज में भारी हेराफेरी, आरबीआई बोला कार्रवाई करो
मुंबई। सोने के एवज में दिए जा रहे कर्ज में जमकर हेराफेरी हो रही है। भारतीय रिजर्व बैंक को फिनटेक कंपनियों और व्यापार संवाददाताओं (बिजनेस करेस्पांडेंट) के साथ साझेदारी में दिए जा रहे कर्ज में गड़बड़ी मिली है। इसने कहा, इस तरह की गतिविधियों पर कार्रवाई हो। साथ ही, नीतियों और कर्ज के पोर्टफोलियो की समीक्षा भी की जाए।
भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने सोमवार को कहा, कई संस्थानों में अनियमितता को हमने देखा है। हमारी हालिया समीक्षा में सोने के आभूषणों को गिरवी रखकर लोन देने के संबंध में कई कमियां सामने आईं हैं। प्रमुख कमियां जो पाईं गईं, उनमें ऋणों की सोर्सिंग और मूल्यांकन है। तीसरी पार्टी जो कर्ज रखे जाने वाले सोने का मूल्यांकन करती है, वहां भी हेरफेर हो रहा है।
केंद्रीय बैंक ने कहा, ग्राहक की उपस्थिति के बिना सोने का मूल्यांकन हो रहा है। गिरवी रखे जाने पर ड्यू डिलिजेंस सही नहीं हो रहा है। कर्ज की अंतिम प्रक्रिया तक सही निगरानी नहीं हो रही है। सोने के आभूषणों की नीलामी के दौरान पारदर्शिता में कमी है। अगर कोई ग्राहक कर्ज भरने में चूक जाता है, तो वहां भी प्रक्रिया का पालन नहीं हो रहा है। कर्ज-मूल्य अनुुपात में भी गड़बड़ी हो रही है। बिजनेस करेस्पांडेंट खुद मूल्यांकन कर रहे हैं। सोने को ले जाने में असुरक्षित परिवहन का उपयोग हो रहा है। केवाईसी अनुपालन में भी कमी है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, नियामक की हालिया कार्रवाइयों के बावजूद सोने के एवज में दिए जाने वाले कर्ज में अच्छी वृद्धि हुई है। मार्च 2025 तक संगठित स्वर्ण कर्जदाताओं का पोर्टफोलियो बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। 2027 में यह 15 लाख करोड़ हो सकता है। आरबीआई ने स्वर्ण ऋण व्यवसाय में पर्यवेक्षित संस्थाओं को नीतियों और प्रक्रिया की व्यापक समीक्षा, कमियों की पहचान करने और समयबद्ध तरीके से कार्रवाई करने को कहा है।
आरबीआई अधिसूचना में कहा गया है कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आउटसोर्स गतिविधियों और तीसरी पार्टी के सेवा प्रदाताओं पर पर्याप्त नियंत्रण हो। स्वर्ण ऋण इकाइयां आरबीआई के वरिष्ठ पर्यवेक्षी प्रबंधक को तीन महीने के भीतर की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी दे सकती हैं। नियामक दिशानिर्देशों का अनुपालन न करने को गंभीरता से लिया जाएगा। इस पर फिर कार्रवाई की जाएगी।