सस्ते लोन का दौर होगा खत्म, 6-8 महीने बाद बढ़ सकती हैं ब्याज दरें
मुंबई– पिछले कुछ समय से भले ही आप सस्ते लोन का फायदा ले रहे हों, लेकिन अब यह दौर खत्म होने वाला है। अगले 6-8 महीनों के बाद ब्याज दरें फिर से ऊपर की ओर जा सकती हैं। हालांकि तब तक यह ब्याज दरें मौजूदा स्तर पर ही रहेंगी। फिलहाल ब्याज दरें 6.69 से लेकर 10% तक अलग-अलग लोन पर हैं।
ब्याज दरों में बढ़त इसलिए होगी क्योंकि ग्लोबल आर्थिक व्यवस्था में सुधार, महंगाई में कमी का अनुमान और कोरोना का असर कम होने की संभावना है। HDFC बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ कहते हैं कि यह संभावना है कि लोन की ब्याज दरें अभी मौजूदा दर पर ही रहे। क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अभी भी दरों को स्थिर रखा है। साथ ही महंगाई की दरें कैलेंडर साल 2021 के अंत तक कम हो सकती हैं। ऐसे में 2021 के अंत से ब्याज दरें ऊपर जानी शुरू हो सकती हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री समीर नारंग कहते हैं कि अभी ब्याज दरें कुछ समय तक के लिए स्थिर रहेंगी। हालांकि जैसा कि घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार दिख रहा है, उससे अगले वित्त वर्ष में दोनों अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें ऊपर की ओर जानी शुरू हो जाएंगी। निजी क्षेत्र के एक अग्रणी बैंक के MD एवं CEO मुताबिक, कम से कम दो तिहाई तक ब्याज दरें मौजूदा स्तर पर ही स्थिर रहेंगी। जब तक कोविड से रिकवरी नहीं होगी, तब तक RBI इसे नहीं बढ़ाएगा। हालांकि यह स्थिति अगली 2 तिमाही तक ही रह सकती है। ऐसी उम्मीद है कि अप्रैल से ब्याज दरें ऊपर जानी शुरू हो जाएंगी।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के प्रबंध निदेशक एवं कार्यकारी अधिकारी MD एवं CEO ए. एस राजीव कहते हैं कि ब्याज दरें कुछ समय तक के लिए मौजूदा स्तर पर ही स्थिर रहेंगी। ऐसा अनुमान है कि यह साल 2021-22 में 25 से 50 बेसिस प्वाइंट (bps) ऊपर जा सकती हैं। पर अगले 4-5 महीनों में इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। HDFC सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च हेड दीपक जसानी कहते हैं कि भारत में पिछली कुछ तिमाहियों से क्रेडिट डिमांड में सुधार दिख रहा है। ब्याज दरों में गिरावट भी रुक गई हैं। जब भी यह बढ़ेंगी, यह ग्लोबल ब्याज दरों पर निर्भर होगा।
वे कहते हैं कि RBI और बॉरोअर अभी भी यह महसूस कर रहे हैं कि भारत में अन्य देशों की तुलना में ज्यादा ब्याज दरें हैं। हम आगे भारत में महंगाई की दरों में गिरावट देख सकते हैं। इसलिए अगली कुछ तिमाही तक ब्याज दरें नीचे रह सकती हैं।
एसएमसी ग्लोबल के चेयरमैन डी.के. अग्रवाल कहते हैं कि कोरोना का जिस तरह से अभी भी असर है, दुनिया के सभी केंद्रीय बैंकों ने आसान मौद्रिक नीतियां अपनाई हैं। निकट भविष्य में ब्याज दरों को स्थिर रखा जा सकता है। अभी निजी निवेश नहीं हो रहा है। साथ ही सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को अभी अपने कोरोना के पहले के स्तर पर आने के लिए एक साल और लग सकता है। ऐसी स्थिति में ब्याज दरों अगले 6 महीने तक इसी स्तर पर रह सकती हैं। हो सकता है कि उसके बाद इसमें कोई बदलाव हो।
बता दें कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पहली तिमाही में 23.9% की गिरावट आई थी। पर जुलाई से सितंबर तिमाही में ऐसा अनुमान है कि यह 10.2% गिर सकती है। यानी पहली तिमाही की तुलना में इसमें सुधार की उम्मीद है। मूडीज इन्वेस्टर सर्विस का कहना है कि वित्त वर्ष 2021 में GDP -10.6% रह सकती है। हालांकि सितंबर में यह अनुमान -11.5% था। अनुमान में यह बदलाव इसलिए आया है क्योंकि सरकार ने हाल में आत्मनिर्भर भारत के तीसरे चरण की राहत दी है। तीसरे चरण की राहत से अनुमान है कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो सकता है।