44 फीसदी यात्रियों को फ्लाइट में बुकिंग के बाद भी सीट का देना होता है पैसा
मुंबई- भारत में एयरलाइन्स कंपनियों और उनकी सर्विसेज को लेकर समय-समय पर खामियां देखने को मिलती है। इसी बीच एक सर्वे में कई और खुलासे देखने को मिले हैं और ये खुलासे फ्लाइट बुकिंग, सीट अलॉटमेंट जैसे मुद्दों से जुड़े हैं। सर्वे से एयरलाइंस और ऑनलाइन ट्रैवल पोर्टल्स की तरफ से ‘डार्क पैटर्न’ के व्यापक यूज का पता चलता है, जिससे ग्राहकों को उड़ान बुकिंग के दौरान सीट सिलेक्ट करने के लिए एक्स्ट्रा फीस का भुगतान करने में हेरफेर किया जाता है।
सर्वे में शामिल 44 फीसदी लोगों ने कहा कि भले ही उन्होंने एडवांस में फ्लाइट की बुकिंग कर ली हो लेकिन सीट अलॉटमेंट के लिए उनको एक्स्ट्रा फीस अदा करनी पड़ी। सर्वे में पिछले 12 महीनों का आंकड़ा लिया गया है। इस सर्वे में 14,142 लोगों ने जवाब दिया, जिसमें से 54 फीसदी लोगों ने यह भी कहा कि उन्हें सीट अलॉटमेंट के लिए कोई भी एक्स्ट्रा रकम नहीं देनी पड़ी।
वहीं, 2 फीसदी लोगों को इस बारे में पूरी तरह से जानकारी नहीं थी, जिसकी वजह यह थी कि या तो उन्हें याद नहीं था या उनके टिकट की बुकिंग किसी और ने की थी। हालांकि, एक्स्ट्रा फीस पे करने में साल 2023 के मुकाबले थोड़ी कमी आई है। 2023 में 51 फीसदी लोगों ने सीट अलॉटमेंट के लिए एक्स्ट्रा फीस पे किया था। जबकि, 2022 में यह आंकड़ा 35 फीसदी ही था।
सर्वे में 13,804 ऐसे लोगों को शामिल किया गया जो साल में एक से ज्यादा या कई बार सफर करते रहते हैं। उनमें से 65 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें सीट अलॉट कराने के लिए एक या एक से ज्यादा बार एक्स्ट्रा फीस देनी पड़ी थी। वहीं, 28 फीसदी लोगों ने कहा कि हमेशा सीट बुक करने के लिए एक्स्ट्रा पैसा देना पड़ा है।
14 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें दो-तिहाई समय यानी 75 फीसदी टाइम एक्स्ट्रा फीस देनी पड़ी तो वहीं, 17 फीसदी लोगों ने कहा कि 50 फीसदी समय उन्हें ज्यादा पैसा चुकाना पड़ा। 6 फीसदी लोगों ने एक-चौथाई समय एक्स्ट्रा फीस पे करने की बात कही।
66 फीसदी लोगों को परिवार के साथ एक जगह पर कभी भी सीट नहीं मिली। सर्वे में 14,102 लोगों को शामिल किया गया था।पिछले 12 महीनों में यानी 2024 में एक्स्ट्रा फीस देकर सीट अलॉट कराने वाले लोगों की संख्या 65 फीसदी हो गई है, जबकि 2023 में यह 47 फीसदी थी। हालांकि, 2022 में यह संख्या 66 फीसदी थी।
सर्वे में शामिल लोगों में से 66 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने इंडिगो एयरलाइन (Indigo) में टिकट बुक किया था मगर परिवार को एक साथ सीट नहीं मिल सकी। ऐसा ही करने में 21 फीसदी लोग स्पाइसजेट (Spicejet), 19 फीसदी लोग एयर इंडिया (Air India), 16 फीसदी लोग विस्तारा (Vistara) और 10 फीसदी लोग अकासा एयर (Akasa Air) शामिल थे। इस लिहाज से अगर जोड़ दिया जाए तो कुल 66 फीसदी लोगों को परिवार के साथ एक ही जगह पर सीट नहीं मिली।