वित्त वर्ष 2024 में 6.5 फीसदी से ज्यादा रह सकती है जीडीपी- वित्त मंत्रालय
नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि जुलाई-सितंबर के मजबूत आंकड़ों के बाद 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 फीसदी को पार कर जाएगी। अक्तूबर-नवंबर में वाहन बिक्री, बिजली की खपत, पीएमआई विनिर्माण और सेवाओं सहित अन्य मोर्चों पर तेजी के संकेत दिखे हैं। ये संकेत तीसरी तिमाही में मजबूत आर्थिक गतिविधि को दर्शाते हैं, जो चौथी तिमाही में भी जारी रह सकता है।
वित्त मंत्रालय ने पहले अनुमान लगाया था कि अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 6.5 फीसदी रहेगी। अब उसने कहा है कि यह अनुमान आराम से पूरा हो जाएगा। औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) और आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक अक्तूबर में काफी बेहतर रहे हैं। इससे विनिर्माण गतिविधि में निरंतर वृद्धि का संकेत है।
वित्त मंत्रालय ने रिपोर्ट में कहा कि उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी बनी रहेगी। वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में वास्तविक जीडीपी 7.7 फीसदीकी दर से बढ़ी है। दूसरी तिमाही में यह 7.6 फीसदी रही थी। दूसरी तिमाही में मजबूत प्रदर्शन के आधार पर आरबीआई ने पूरे वर्ष के लिए अपने विकास अनुमान को बढ़ाकर सात फीसदी कर दिया है। इसने कहा है कि लचीली खपत और निवेश ने पहली छमाही में विकास दर को बढ़ा दिया है।
नीतिगत दरों में बढ़ोतरी से महंगाई में कमी आई है, लेकिन यह लक्ष्य को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं है। मौद्रिक सख्ती लंबी हो सकती है इससे वैश्विक उत्पादन में अभी भी कम वृद्धि हो सकती है। शहरी घटक ने खपत को मजबूत किया है। ग्रामीण मांग बढ़ने लगी है। सरकारी पूंजीगत खर्च ने निवेश दर में वृद्धि की है जबकि निजी निवेश आशाजनक दिख रहा है।
मजबूत घरेलू मांग के परिणामस्वरूप विनिर्माण और सेवाओं के मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिर और घटती मुख्य महंगाई के कारण वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में दबाव कम हुआ है। इस अवधि के दौरान मौसम-प्रेरित आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान के कारण खाद्य महंगाई अस्थिर रही है। आरबीआई ने 2024 के लिए 5.4 फीसदी महंगाई दर का अनुमान जताया है।
रिपोर्ट के अनुसार, विकसित देशों में बढ़ती महंगाई के दबाव और लगातार कई देशों के बीच तनाव से आपूर्ति-श्रृंखला में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। इससे विकास में गिरावट का जोखिम उत्पन्न होता है।