एक साल में 32 फीसदी घटी घरेलू वित्तीय बचत, कम ब्याज से बैंकों से निकला पैसा
मुंबई- देश में लोगों की वित्तीय बचत में जमकर गिरावट आई है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में बचत 16 फीसदी थी जो 2021-22 में 32 फीसदी घटकर 10.8 फीसदी पर आ गई है। 2019-20 में यह 12 फीसदी थी।
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना, जमा पर घटते ब्याज के कारण लोगों ने पैसे को बैंकों से निकालकर बीमा, म्यूचुअल फंड और लघु बचत योजनाओं जैसे सुनिश्चित रिटर्न वाले साधनों में लगा दिया। जमा पर जो ब्याज मिल रहा था, वह महंगाई से कम था। साथ ही वित्त वर्ष 2022 में सेंसेक्स ने 18.3 फीसदी और 2021 में 68 फीसदी का रिटर्न दिया। इसलिए निवेशकों ने बैंकों से जमा निकाल लिए।
आंकड़े बताते हैं कि 2020-21 में कुल जमा 12.19 लाख करोड़ रुपये था जो 2021-22 में घटकर 6.95 लाख करोड़ रुपये पर आ गया। बैंक जमा 12.19 लाख करोड़ से घटकर 6.53 लाख करोड़ रुपये तो सहकारी बैंकों का जमा 63,576 करोड़ से घटकर महज 2,178 करोड़ रुपये रह गया।
इसी तरह जीवन बीमा पॉलिसी में भी निवेश में गिरावट आई। यह 5.63 लाख करोड़ रुपये से घटकर 4.40 लाख करोड़ रुपये रह गया। हालांकि, म्यूचुअल फंडों में निवेश में जबरदस्त तेजी आई। 2020-21 में म्यूचुअल फँडों में कुल निवेश 64,084 करोड़ रुपये था जो 2021-22 में बढ़कर 1.60 लाख करोड़ रुपये के पार चला गया। प्रॉविडेंट, पेंशन एवं पीपीएफ में निवेश इसी दौरान बढ़कर 5.46 लाख करोड़ से 5.81 लाख करोड़ रुपये हो गया।
शेयर बाजार में यह निवेश 38,531 करोड़ रुपये से बढ़कर 48,613 करोड़ और लघु बचत योजना में (पीपीएफ छोड़कर) 2.81 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर यह 3.40 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले समय में बैंकों के जमा में फिर से वृद्धि हो सकती है, क्योंकि आगे ब्याज दरें बढ़ने की उम्मीद है।
पिछले कुछ समय में म्यूचुअल फंड लोगों का पसंदीदा निवेश का साधन बना है और घरेलू बचत को डेट व इक्विटी स्कीम में निवेश किया जा रहा है। लघु बचत योजनाओं में इसलिए निवेश बढ़ा क्योंकि बैंकों के जमा की तुलना में यहां ब्याज ज्यादा मिला है। कुल जमा में बैंक जमा का हिस्सा 2020-21 में 38.6 फीसदी था लेकिन 2021-22 में घटकर 25.5 फीसदी पर आ गया।
सहकारी बैंकों का हिस्सा दो फीसदी से घटकर 0.1 फीसदी व जीवन बीमा का हिस्सा 17.8 फीसदी से घटकर 17.2 फीसदी हो गया। म्यूचुअल फंड का हिस्सा 2 फीसदी से बढ़कर 6.3 फीसदी और शेयर बाजार का हिस्सा 1.2 फीसदी से बढ़कर 1.9 फीसदी हो गया। लघु बचत योजनाओं का हिस्सा 8.9 फीसदी से बढ़कर 13.3 फीसदी पर पहुंच गया।