देश की अर्थव्यवस्था में डिजिटल इकोनमी का 25 फीसदी होगा योगदान
मुंबई। जाने माने बैंकर और नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं डेवलपमेंट (एनएबीएफआई) के चेयरमैन केवी कामत ने कहा कि वित्त वर्ष 2029 तक देश की अर्थव्यस्था में डिजिटल इकोनमी का योगदान 25 फीसदी होगा। साथ ही इसी समय जीडीपी बढ़कर 7 लाख करोड़ डॉलर की हो जाएगी। फिलहाल डिजिटल इकोनमी का योगदान चार फीसदी से भी कम है। चीन में यह 40 फीसदी है। मुझे ऐसा कोई कारण नहीं दिखता है कि भारत इसे हासिल नहीं कर पाएगा।
सरकार का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2029 तक देश की अर्थव्यवस्था जापान को पीछे छोड़कर 7 लाख करोड़ डॉलर की हो जाएगी जो अभी 3.3 लाख करोड़ डॉलर की है। डिजिटल इकोनमी में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, ई-कॉमर्स और अन्य डिजिटल भुगतान के साथ सेवा सेगमेंट भी है। कामत ने कहा, मुझे ऐसा कोई कारण नहीं दिखता है कि भारत इसे हासिल नहीं कर पाएगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था में अधिक एक्सप्रेस-वे, हाईवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह और हाई-स्पीड रेलहेड के लिए बहुत अधिक मांग है। एक सवाल यह जरूर उठता है कि क्या वित्त वर्ष 2006-08 के दौरान बुनियादी ढांचे पर सरकार के जोर देने के बाद बैंकों पर पड़ने वाले बैंकिंग संकट की पुनरावृत्ति की कोई संभावना है।
कामत ने कहा, अर्थव्यवस्था में बुनियादी ढाँचे के लिए अधिक मांग है। हमें अभी भी परिवहन के प्रमुख बुनियादी ढाँचे पर बहुत कुछ करना है। आगे बढ़ने के लिए अधिक से अधिक एक्सप्रेस-वे, बड़े हवाई अड्डे एवं माल और यात्रियों दोनों के लिए समर्पित हाई-स्पीड रेलवे की जरूरत है।
उन्होंने कहा, हमारे पास अधिक शहरी कायाकल्प परियोजनाएं हो सकती हैं। इसे केवल शीर्ष शहरों तक ही सीमित क्यों रखा जाए? अधिक विश्व स्तरीय शहरों का निर्माण करने के साथ मौजूदा शहरों को अपग्रेड भी किया जाए। वह बैंकों के बुरे फंसे कर्ज (एनपीए) में पिछले दशक के आखिरी चरण की तरह फिर से गिरावट नहीं देख रहे हैं, क्योंकि उस समय अधिकांश इन्फ्रा कंपनियां विस्तार के लिए ज्यादा कर्ज लेने से धराशाई हो गई थीं।
इन्सॉल्वेंसी एवं बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के लागू होने के बाद से 13 लाख करोड़ रुपये के करीब कर्ज का राइट ऑफ किया गया है। इसमें से अब तक रिकवरी 30 फीसदी से कम रकम की वसूली हो पाई है। हालांकि एनपीए इसी दौरान 12 फीसदी से अधिक कम होकर अब पांच फीसदी पर आ गया है। कामत ने कहा कि जैसे-जैसे आईबीसी प्रणाली में सुधार होगा, अधिक लाभ होगा। हालांकि बैंक इन्फ्रा फंडिंग का एक अभिन्न हिस्सा बने रहेंगे, पर और अधिक साधनों को देखने की जरूरत है जो लंबी अवधि के लिए फंड दे सकें।