इस बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी को रोक सकता है रिजर्व बैंक- एसबीआई रिपोर्ट 

मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक सोमवार से शुरू हो चुकी है जो 8 फरवरी तक चलेगी। जानकारों के अनुसार RBI की मीटिंग में रेपो रेट में बढ़ोतरी इस बार रुक सकती है। एसबीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बार से दरों को बढ़ाने का फैसला टल सकता है और अमेरिकी केंद्रीय बैंक भी अगली मीटिंग में यही काम कर सकती है।  

हालांकि, बहुत सारे विश्लेषकों का मानना है कि RBI रेपो रेट में 0.25% तक का इजाफा कर सकता है। फिलहाल रेपो रेट 6.25% है। मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक हर दो महीने में होती है। इस वित्त वर्ष की पहली बैठक अप्रैल में हुई थी। तब RBI ने रेपो रेट को 4% पर स्थिर रखा था। लेकिन RBI ने 2 और 3 मई को इमरजेंसी बैठक बुलाकर रेपो रेट को 0.40% बढ़ाकर 4.40% कर दिया था। 22 मई 2020 के बाद रेपो रेट में ये बदलाव हुआ था। 

इसके बाद 6 से 8 जून को हुई बैठक में रेपो रेट में 0.50% इजाफा किया। इससे रेपो रेट 4.40% से बढ़कर 4.90% हो गई। फिर अगस्त में इसे 0.50% बढ़ाया गया, जिससे ये 5.40% पर पहुंच गई। सितंबर में ब्याज दर 5.90% हो गई। दिसंबर में ब्याज दर को बढ़ाकर 6.25% कर दिया गया। 

रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ होता है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे, जबकि रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट से ठीक विपरीत होता है। 

रिवर्स रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर RBI से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजारों में लिक्विडिटी, यानी नगदी को ​नियंत्रित किया जाता है। रेपो रेट स्थिर होने का मतलब है कि बैंकों से मिलने वाले लोन की दरें भी स्थिर रहेंगी। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *