5G के आने से पहले ही टक्कर की तैयारी, एअरटेल और जियो के बीच होगी बाजार पर कब्जा जमाने की होड़
मुंबई– 5G की सेवा भले ही अभी लंबे समय बाद भारत में शुरू होगी, पर इसके लिए टक्कर की तैयारी पहले हो गई है। इस टक्कर में एअरटेल, रिलायंस जियो और चीन की हुवावे आमने-सामने होंगी। दरअसल भारत में हालांकि अभी तक हुवावे को 5G में शामिल किया जाएगा या नहीं, इस बात पर स्पष्टता नहीं है। पर वैश्विक स्तर पर जरूर यह तीनों कंपनियां आमने-सामने होंगी। इसमें चीन की हुवावे को जबरदस्त टक्कर मिल सकती है।
बता दें कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो ने अमेरिका में 5G का परीक्षण किया है। रिलायंस जियो के प्रेसिडेंट मैथ्यू ओमान ने क्वालकॉम इवेंट में कहा कि क्वालकॉम और रिलायंस की सब्सिडियरी कंपनी रेडिसिस के साथ मिलकर हम 5G टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं, ताकि भारत में इसे जल्द लॉन्च किया जा सके। 5G की सेवा फिलहाल वैश्विक स्तर पर करीबन 70 देशों में यह सेवा चालू है।
क्वालकॉम ने ऐलान किया कि उसने 1Gbps से ज्यादा स्पीड हासिल कर ली है। अभी दुनियाभर में अमेरिका, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड और जर्मनी जैसे देशों के 5G ग्राहकों को 1Gbps इंटरनेट स्पीड की सुविधा मिल रही है। दूसरी ओर एअरटेल भारत में केवल 5G, होम ब्रॉडबैंड, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और अन्य वायर लाइन प्रोडक्ट ही नहीं डेवलप कर रही है, बल्कि इसका उद्देश्य लोकल स्तर पर कांट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरर्स जैसे अमेरिका के फ्लेक्स और भारत के तेजस नेटवर्क के साथ मिलकर इक्विपमेंट का निर्माण करना है।
एअरटेल भारत के आधार पर विशेष हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट को डेवलप करना चाहता है। इसके लिए वह टेक्नोलॉजी पार्टनर्स के साथ योजना बना रहा है। एअरटेल इस योजना के जरिए अन्य टेलीकॉम कंपनियों को भी इसकी सेवाएं दे सकता है। लोकल 5 जी इकोसिस्टम से एअरटेल को सप्लाई चेन को बेहतर तरीके से नियंत्रण करने में मदद मिलेगी। साथ ही नेटवर्क की लागत को भी वह कम कर सकेगी। एअरटेल अभी 5G इकोसिस्टम के लिए पार्टनर्स के साथ कमर्शियल एग्रीमेंट साइन करने की प्रक्रिया में है।
एयरटेल की यह पूरी योजना रिलायंस जियो की 5G टेक्नोलॉजी के साथ मुकाबला करने की है। जियो ने कहा कि यह भारत में 5G सेवा देने और इसे बढ़ाने वाली पहली कंपनी होगी। जियो पहले भारत में उसके बाद इसे अफ्रीकी बाजार, पश्चिमी एशिया और पूर्वी यूरोप में ले जाएगी। इसी तरह एअरटेल ने भी अपने 5G नेटवर्क का फोकस अफ्रीका, बांग्लादेश और लंका में कर रखा है। इसमें एअरटेल खुद का पार्टनर रखेगी। इसके जरिए वह दूसरी टेलीकॉम कंपनियों को सेवा देगी।
दरअसल भारत में सरकार 5G स्पेक्ट्रम को 2021 में निलामी के जरिए उपलब्ध कराने की योजना बना रही है। इसके बाद यह माना जा रहा है कि 2022 से 5G की सेवा शुरू हो सकती है। एअरटेल की यह योजना है कि वह अमेरिका की मेवनीर सहित कई कंपनियों के साथ भागीदारी करेगी। यह जापान की एनईसी और ताइवान की सरकाम के साथ भी पार्टनर के लिए योजना बना रही है। इसके साथ ही एअरटेल ने एरिक्सन और नोकिया के साथ पहले पार्टनरशिप की है।
एअरटेल ने 5G के लिए मानेसर और बंगलुरू में अपनी आरएंडडी लैब को सेट अप किया है। इसमें सैकड़ों करोड़ रुपए का निवेश किया जा चुका है। अभी इसमें 100 से ज्यादा इंजीनियर काम कर रहे हैं। भारती एयरटेल ने अगस्त में कहा था कि वह कोलकाता और कर्नाटक में नोकिया और एरिक्सन के साथ 5G का ट्रायल करेगी। वैसे भारत में 5G ट्रायल को लेकर देरी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि गृह मंत्रालय ने अभी तक इसके लिए सिक्योरिटी क्लीयरेंस नहीं दिया है। पहले यह इसी साल में जनवरी से मार्च के दौरान होना था। इसी तरह चीनी कंपनियों को अभी भी 5G के लिए मंजूरी देने के लिए कोई निर्णय नहीं हुआ है।
भारत में 5 जी नेटवर्क टेक्नोलॉजी को अपने खुद के आरएंडडी से डेवलप करने के लिए अमेरिका और जापान की कंपनियां कोलैबरेशन कर रही हैं। मोबाइल फोन ऑपरेटर की यह एक नई रणनीति है। दरअसल इसके पीछे की कहानी यह है कि किसी तीसरी पार्टी पर निर्भर होने की बजाय यह खुद की इंटेलेक्चुअल प्रॉपटी बन जाएगी। पूरी दुनिया में इस समय 330 कंपनियां 5 जी मोबाइल नेटवर्क में निवेश कर रही हैं। ग्लोबल मोबाइल सप्लायर्स एसोसिएशन (जीएसए) के मुताबिक 150 कंपनियों ने प्राइवेट एलटीई और 5 जी नेटवर्क और स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
भारत में वैसे तो मुख्य टक्कर रिलायंस और एयरटेल के बीच होगी। क्योंकि हुवावे को लेकर ऐसा माना जा रहा है कि सरकार इसे 5G से दूर रखेगी। लेकिन विश्वस्तर पर यह तीनों कंपनियां आमने-सामने टकराएंगी। हालांकि यहां भी कुछ देशों में हुवावे को मंजूरी मिलने में दिक्कत होगी। इसमें ताइवान, अमेरिका जैसे कई देश हैं जो हुवावे को 5G के लिए अपने बाजार नहीं देंगे। इस तरह से देखें तो एयरटेल और जियो ही इन बाजारों में आमने-सामने होंगे। हुवावे ने पहले ही परीक्षण कर लिया है। चीन की कुछ देशों के साथ दुश्मनी है तो कुछ देश हाल में कोरोना की वजह से उसकी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। ऐसे में हुवावे के लिए वैश्विक स्तर पर ज्यादा बाजार मिलना मुश्किल है।