गांवों में 39 पर्सेंट मनरेगा कार्ड धारकों को एक साल में एक भी दिन काम नहीं
मुंबई- गांव इलाकों में गरीबों को काम देने के लिए सरकार ने मनरेगा योजना शुरू की थी। लेकिन करीब 39 प्रतिशत मनरेगा कार्डधारक परिवारों को कोविड महामारी वाले वर्ष 2020-21 के दौरान एक दिन का भी काम नहीं मिला। एक सर्वे में यह बताया गया है।
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय ने चार राज्यों के आठ ब्लॉक में 2,000 परिवारों के बीच यह सर्वे किया है। यह सर्वे ‘नेशनल कंर्सोटियम ऑफ सिविल सोसायटी ऑर्गेनाइजेशन्स ऑन नरेगा’ तथा ‘कोलेबोरेटिव रिसर्च एंड डिसेमिनेशन’ के सहयोग से किया गया। नवंबर-दिसंबर 2021 में यह सर्वे बिहार, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में किया गया। इसमें बताया गया कि जिन परिवारों ने काम किया उनमें से औसतन महज 36 प्रतिशत परिवारों को ही 15 दिन के भीतर उनका भुगतान प्राप्त हुआ है।
रिपोर्ट में बताया गया, ‘सभी ब्लॉक के रोजगार कार्डधारक परिवारों में से 39 प्रतिशत परिवार जो कोविड से प्रभावित वर्ष के दौरान मनरेगा में काम करने के इच्छुक थे और औसतन 77 दिन का काम चाहते थे लेकिन उन्हें एक भी दिन काम नहीं मिला।’ सर्वे के मुताबिक, कई तरह की खामियों के बावजूद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम महामारी के दौरान मददगार साबित हुआ और इसकी बदौलत ही कई संकट झेल रहे परिवार आय की अत्यधिक कमी से बच गए।
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में संकाय सदस्य राजेंद्रन नारायणन ने कहा, ‘हमारे शोध में पता चला कि कामगार मनरेगा की उपयोगिता और जरूरत को कितना महत्व देते हैं। दस में से आठ से अधिक परिवारों ने कहा कि मनरेगा के तहत प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति 100 दिन का रोजगार दिया जाना चाहिए।’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बताया था कि वित्त वर्ष 2020-21 में मनरेगा स्कीम पर रेकॉर्ड राशि खर्च की गई। 2020-21 के लिए सरकार ने 61,500 करोड़ रुपये का बजट रखा था। लेकिन कोरोना के कारण लोगों के गांवों को पलायन करने के बाद इसे बढ़ाकर 1,11,500 करोड़ रुपये कर दिया गया था।
हाल में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में सभी को रोजगार सुनिश्चित करने के लिए सरकार को सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP का कम से कम पांच प्रतिशत यानी 13.52 लाख करोड़ रुपये का सालाना निवेश करने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 21.8 करोड़ लोगों को तुरंत काम की जरूरत है। इसमें वे लोग शामिल नहीं हैं जिन्हें मनरेगा योजना का लाभ मिल रहा है। इसमें साथ ही कहा गया है कि अभी 30.4 करोड़ लोगों के पास काम है