साइबर जोखिमों को कम करना फिलहाल समय की मांग
मुंबई– घरों या दफ्तरों में इस्तेमाल किए जा रहे विभिन्न डिवाइस और एप्लिकेशन अब इस तरह एक साथ हो गए हैं कि उनका अलग हो पाना मुश्किल है। कुछ ही सेकंड्स में वाई-फाई कनेक्शन या डेटा प्लान वाला यूजर कितनी ही सूचनाएं, फ़ाइल डाउनलोड कर सकता है। उसे एक साथ कई लोगों के साथ शेयर भी कर सकता है। इसका एक दूसरा पहलू भी है। कुछ समय पहले सबसे बड़ा जोखिम आपके पर्स को पॉकेटमारों से बचाना होता था, पर आज सबसे बड़ा डर यह रहता है कि हमारे बैंकिंग डिटेल्स और ऑनलाइन डेटा कहीं चोरी या हैक ना हो जाये। उसे डैमेज या मिटा न दिया जाए। यह कितना अजीब है कि एक व्यक्ति जो रात को सोया रहता है और जब सुबह उठता है तो उसे पता चलता है कि वह ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हो चुका है।
साइबर हथियारों से लैस, डिजिटल अपराधियों के लिए एसएमएस, फ़िशिंग लिंक, जाली ऑनलाइन जैसे कई ऑनलाइन तरीके होते हैं जो ग्राहकों को लूटने के लिए आसान होते हैं। आये दिन नए फ्रॉड के मामले सामने आते रहते हैं। वैश्विक सुरक्षा फर्म सिमेंटेक की एक रिपोर्ट के अनुसार, वन्नाक्राई और पेटया जैसे उग्र साइबर हमलों के अचानक फैलने के साथ, भारत मैलवेयर, स्पैम और रैनसमवेयर जैसे साइबर खतरों के जोखिम के मामले में तीसरे सबसे कमजोर देश के रूप में उभरा चुका है।
यह अनुमान लगाया गया है कि वन्नाक्राई हमले ने पूरे देश में लगभग 48,000 सिस्टम्स को प्रभावित किया है। यह साइबर जोखिम से उत्पन्न बढ़ते खतरे पर हम सभी के लिए एक प्रमुख वेक अप कॉल के रूप में लिया जा रहा है। इसलिए, आज हर किसी के लिए बड़ी चिंता यह नहीं है कि उसका पॉकेट मार लिया जाएगा। उनके लिए बड़ा खतरा यह है कि जिस चीज को उन्होंने स्मार्टफोन या लैपटॉप में डाउनलोड किया है वह डिजिटल हैकर्स द्वारा हैक कर लिया जाएगा। बस कुछ ही क्लिक में मेहनत से गाढ़ी कमाई कुछ ही सेकंड में गंवा दी जाएगी।
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सक्रिय इंटरनेट यूजर्स की संख्या नवंबर 2019 तक 50.4 करोड़ थी और 2023 तक इसके 65 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। टेक्नोलॉजी के बढ़ते उपयोग का एक परिणाम यह है कि इसने संगठनों और व्यक्तिगत यूजर्स को साइबर जोखिमों के लिए खोल दिया है, जिसके लिए अमूमन लोग तैयार नहीं रहते हैं। अब जबकि लोग अपनी डिवाइसेज सूचनाएं और नेटवर्क को ज्यादा से ज्यादा शेयर करते हैं तो ऐसे में यह खतरे काफी बढ़ जाते हैं। इससे हर हाल में सावधान रहना बहुत ही जरूरी है।
बैंकिंग के ज्यादातर लेनदेन आजकल ऑनलाइन हो रहे हैं, जिसके चलते किसी की व्यक्तिगत जानकारी भी ऑनलाइन उपलब्ध हो जा रही है। खासकर उन सोशल मीडिया वेबसाइटों पर जिसका हैकर्स द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है। परिणाम यह है कि साइबर अपराधी दिन रात हैकिंग के नए टूल्स ईजाद कर उन लोगों को ठगने के लिए मेहनत कर रहे हैं जो ऑनलाइन लेन-देन के मामले में सावधान नहीं रहते हैं और निजी जानकारी शेयर कर देते हैं। इसलिए, यदि कोई ऑफिस या व्यक्ति अपने नेटवर्क और डेटा को ऐसे हमलों से बचाना चाहते हैं, तो इसके लिए यह आवश्यक है कि वे अपनी सुरक्षा रणनीतियों (security strategies) का पता लगाना शुरू करें।
इसलिए, जैसा कि दुनिया हाइपर-कनेक्टेड हो गई है, अब घर और काम पर मजबूत साइबर सुरक्षा का सिस्टम सेट अप करना अधिक महत्वपूर्ण है।
सिक्युरिटी सिस्टम की तैनाती
जब भी कभी आप किसी एप्लीकेशन, या किसी नेटवर्क से कनेक्ट होते हैं और अपने पर्सनल डिवाइस पर संवेदनशील डेटा स्टोर करते हैं तो आपके लिए यह महत्वपूर्ण है कि आपके पास मैलवेयर और साइबर अपराधियों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए सेक्युरिटी सिस्टम मौजूद हो। होम नेटवर्क के लिए, यह अक्सर एक फ़ायरवॉल और एन्क्रिप्शन का उपयोग करने से हो जाता है। किसी भी अनियमितता का पता लगाने के लिए कंप्यूटर सिस्टम में एक सक्रिय और मजबूत एंटी वायरस बनाए रखें। फायरवॉल यह सुनिश्चित करता है कि आपके नेटवर्क में एंट्री कर डेटा में सेंध लगाने वाले एप्लीकेशन या वेबसाइटों का पता लगाकर उसे ब्लॉक कर दे। सार्वजनिक वाई-फाई से कनेक्ट होना भी यूज़र्स के डिवाइस और नेटवर्क सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा जोखिम होता है।
सावधान होकर ब्राउज़ करें
साइबर अपराधी अक्सर फ़िशिंग हमलों के जरिए या ईमेल के माध्यम से, जो पहली नजर में वैलिड नेटवर्क दिखते हैं नेटवर्क में घुस कर अपराध को अंजाम देने की कोशिश करते हैं। अपने आप को अज्ञात स्रोतों या विज्ञापन से किसी भी लिंक पर क्लिक करने से, या किसी अज्ञात पॉप-अप विंडो से अज्ञात वेबसाइट से किसी भी आइटम को डाउनलोड करने से रोकें। अज्ञात स्रोतों के साथ अपनी ईमेल आईडी दर्ज करने से बचें। वेबसाइट की प्रमाणिकता के लिए वास्तविक हमेशा https:// वाली वेबसाइट पर ही जाएं। हर प्लेटफॉर्म पर अल्फा-न्यूमेरिकल कॉम्बिनेशन और विशेष कैरेक्टर्स वाले एक मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें। अगर आप एक ही पासवर्ड को कई अकाउंट के लिए इस्तेमाल में लाते हैं तो इससे भी हमले का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसका कारण यह है कि यदि आपका पासवर्ड एक साइट पर कंम्प्रोमाईज़ हो जाता है, तो दूसरी वेबसाइटों पर भी यही हो सकता है। यह भी जरूरी है कि किसी अन्य व्यक्ति को पासवर्ड न दें।
साइबर इंश्योरेंस कवर लें
हम कितना भी सुरक्षा के उपाय अपना लें पर यह भी एक सच है कि हैकर्स भी हमसे दो कदम आगे रहते हैं। कोई न कोई तकनीक या जुगाड़ लगाकर वे हैक करने में और हमारे डाटा को चुराने में कामयाब हो ही जाते हैं। इसके लिए यह जरूरी है कि इन सब से सुरक्षा के लिए एक साइबर इंश्योरेंस कवर भी ले लिया जाए।साइबर बीमा कवर पहचान चोरी (Identity Theft), मैलवेयर हमले, आईटी चोरी से नुकसान, साइबर जबरन वसूली, साइबर स्टॉकिंग आदि जैसे विभिन्न साइबर जोखिमों से सुरक्षा प्रदान करता है।
एक व्यापक साइबर बीमा कवर के माध्यम से लगातार बढ़ते साइबर जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी। यह सुनिश्चित करता है कि आप आर्थिक रूप से अच्छी तरह से किसी भी साइबर हमलों के खिलाफ बिना किसी दबाव के इंटरनेट पर आप सुरक्षित होकर ब्राउज़ कर सकते हैं।