रूस और यूक्रेन में फंसे हैं तो जानिए बीमा कंपनियों का प्लान काम करेगी या नहीं
मुंबई – मेडिकल इमरजेंसी से होने वाला खर्च किसी को कभी भी प्रभावित कर सकता है, चाहे वे कहीं भी हों। वे चाहे किसी शांतिपूर्ण क्षेत्र में रह रहे हों या किसी विदेशी देश में जहां युद्ध चल रहा हो या फिर युद्ध क्षेत्र से होकर सुरक्षित देश तक पहुंचने के लिए लंबी कष्टदायक यात्रा से गुजर रहे हों।
विदेश में इस तरह के संकट में किसी भी सुरक्षित स्थान पर पहुँचते ही आपातकालीन ट्रीटमेंट (emergency treatment) प्राप्त करना महत्वपूर्ण हो जाता है। इसलिए, यह जानना महत्वपूर्ण है कि भारतीय हेल्थ बीमा कंपनियों से खरीदी गई आपकी हेल्थ बीमा पॉलिसी ऐसी स्थितियों में काम करेगी या नहीं।कई घरेलू हेल्थ पॉलिसीज (domestic health policies) काम नहीं करती
हेल्थ कवरेज कैसा होगा, यह आपके द्वारा खरीदी गई हेल्थ बीमा पॉलिसी के प्रकार पर निर्भर करेगा। भारतीय हेल्थ बीमा कंपनियों से खरीदी गई अधिकांश हेल्थ बीमा पॉलिसियां आमतौर पर भारत के बाहर हुए ट्रीटमेंट का कवरेज प्रदान नहीं करती हैं। ज्यादातर घरेलू हेल्थ बीमा पॉलिसियां केवल भारत के भीतर मेडिकल खर्चों के लिए कवरेज प्रदान करती हैं। इसलिए, किसी विदेशी देश में बीमारी या दुर्घटनाओं के मामले में बीमित होने के बावजूद उसे अपनी जेब से इलाज का खर्च वहाँ करना होता है।
भारत में कई हेल्थ बीमा पॉलिसियां हैं जो ग्लोबल कवरेज प्रदान करती हैं। यदि आपने ऐसी पॉलिसी खरीदी है, तो ट्रीटमेंट कवरेज मिलने की संभावना अधिक होती है। यहां ऐसी पॉलिसीज के कुछ उदाहरण दिए गए हैं जो विदेशी मेडिकल कवरेज प्रदान करते हैं। इसमें आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस से एक्टिव एश्योर डायमंड प्लान, बजाज आलियांज हेल्थ इंश्योरेंस से ग्लोबल पर्सनल गार्ड प्लान, लिबर्टी हेल्थ इंश्योरेंस से हेल्थ कनेक्ट सुप्रा, निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस से हार्टबीट हेल्थ प्लान (पूर्व में मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस) जैसी पॉलिसीज हैं।
ध्यान रखें कि भले ही आपके पास ऐसी पॉलिसी हो जो ग्लोबल कवरेज प्रदान करती हो, लेकिन यूक्रेन जैसी स्थिति में कवरेज की कोई गारंटी नहीं होती है। युद्ध के दौरान किसी विदेशी देश में फंसना एक असाधारण स्थिति है जिसे अधिकांश हेल्थ बीमा पॉलिसियों में कवर नहीं किया जाएगा। यूक्रेन संकट के मामले में दुर्भाग्य से ऐसे क्लेम्स रिजेक्ट किये जा सकते हैं। कई बीमा कंपनियों के पास युद्ध और युद्ध जैसी घटना या आक्रमण, विदेशी दुश्मनों के अटैक, दुश्मनी, गृह युद्ध, विद्रोह, सैन्य या सत्ता हड़पने’ के मामले कवर में नहीं आते हैं।
हालाँकि आपका ग्लोबल हेल्थ कवर युद्ध क्षेत्र में काम नहीं कर सकता है, लेकिन यह उस समय काम आएगा जब आप किसी ऐसे पड़ोसी देश में पहुँचेंगे जहाँ ग्लोबल कवरेज काम करेगा। यदि आप विदेश में कम अवधि के लिए हैं जैसे छुट्टी बिता रहे हैं या किसी बिजनेस के सिलसिले में हैं तो आपको फ़ॉरेन हेल्थ प्लान खरीदने की आवश्यकता नहीं है। जो लोग कम अवधि के लिए विदेश जा रहे हैं, वे ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी का विकल्प चुन सकते हैं क्योंकि यह विदेश में इलाज के लिए मेडिकल खर्च को कवर करती है।
यदि आपका प्रवास स्टडी या रोजगार के लिए अधिक लंबा रहने वाला है, तो लोकल हेल्थ इंश्योरेंस लेना बेहतर है। मिश्रा कहते हैं कि उन लोगों के लिए जो लंबी अवधि के लिए विदेश में जाते हैं, मेडिकल ईमर्जन्सी का कवर प्राप्त करने के लिए उस देश से एक नई हेल्थ बीमा पॉलिसी खरीदने की सलाह दी जाती है।
कुछ देश लोगों को हेल्थ प्लान खरीदने के लिए बाध्य करते हैं वहीं अन्य देशों में यह निर्णय लेने के लिए उस व्यक्ति पर छोड़ दिया जाता है। गोयल कहते हैं कि जब भी कोई छात्र भारत से बाहर किसी देश में जाता है-खासकर अमेरिका और यूरोप में, तो उनके पास हेल्थ बीमा पॉलिसी होनी चाहिए। एक बार जब आप देश छोड़कर विदेश चले जाते हैं, तो स्थानीय विदेश नीति (local overseas policy) बेमानी हो सकती है। इसलिए, वॉर जोन से बाहर निकलने के बाद ग्लोबल कवरेज के साथ भारत में खरीदी गई एक हेल्थ बीमा प्लान काफी मददगार हो सकती है।