देश में पेट्रोल पंपों की संख्या पहली बार एक लाख के पार, 10 साल में दोगुना बढ़ी
मुंबई-देश में पेट्रोल पंपों की संख्या अब एक लाख के आंकड़े को पार कर गई है। यह 2015 की तुलना में दोगुना ज्यादा है। वाहनों की बढ़ती संख्या के चलते सरकारी खुदरा विक्रेताओं ने बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने और ग्रामीण व राजमार्ग क्षेत्रों में ईंधन की पहुंच बढ़ाने के लिए आक्रामक रूप से आउटलेट का विस्तार किया है।
तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ के अनुसार, नवंबर के अंत तक 1,00,266 पेट्रोल पंप थे। ये भौगोलिक क्षेत्र में अधिक बड़े होने के बावजूद अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है। 90 प्रतिशत से अधिक पंप इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) जैसी सरकारी कंपनियों के हैं। रूस की रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी लि. 6,921 आउटलेट के साथ सबसे बड़ी निजी ईंधन खुदरा विक्रेता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज और बीपी के संयुक्त उद्यम के स्वामित्व वाले 2,114 स्टेशन हैं। शेल के 346 आउटलेट हैं।
पेट्रोल पंप नेटवर्क 2015 में 50,451 स्टेशनों से बढ़कर लगभग दोगुना हो गया है। उस वर्ष निजी कंपनियों के 2,967 आउटलेट (5.9 प्रतिशत) थे। अब यह 9.3 प्रतिशत है। ईंधन खुदरा आउटलेट व्यवसाय में निजी क्षेत्र की भागीदारी 2003-04 में 27 पंपों के साथ शुरू हुई थी। अमेरिका में आउटलेट्स की संख्या पर कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार खुदरा गैस स्टेशनों की संख्या 1,96,643 थी। तब से कुछ आउटलेट बंद हो गए होंगे। चीन में पिछले साल 1.15 लाख गैस स्टेशनों की संख्या थी।
सबसे बड़ा नेटवर्क आईओसी का
चाइना पेट्रोकेमिकल कॉरपोरेशन आकार में बड़ी है, लेकिन आईओसी के 41,664 आउटलेट्स के सामने इसके आउटलेट्स की संख्या बहुत कम लगती है। बीपीसीएल का नेटवर्क दूसरे नंबर पर है। एचपीसीएल तीसरे स्थान पर है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित आउटलेट्स कुल पंपों का लगभग 29 प्रतिशत हैं, जो एक दशक पहले 22 प्रतिशत थे। अब ये नियमित पेट्रोल और डीजल डिस्पेंसर के साथ सीएनजी जैसे वैकल्पिक ईंधन भी बेचते हैं। इनमें इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन भी हैं।

