न्यूजीलैंड को निर्यात बढ़ाकर चीन पर निर्भरता कम कर सकते हैं भारतीय निर्यातक

मुंबई- न्यूजीलैंड के साथ द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते के चलते भारतीय निर्यातकों के लिए अच्छा अवसर है। जीटीआरआई की रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय निर्यातकों के पास न केवल न्यूजीलैंड को निर्यात बढ़ाने की क्षमता है, बल्कि वे इस देश की चीन पर निर्भरता कम करने में भी मदद कर सकते हैं। जिन क्षेत्रों में निर्यात की भारी संभावना है उनमें कृषि, पेट्रोलियम, फार्मा, परिधान, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल शामिल हैं।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के अनुसार, 2024-25 में न्यूजीलैंड ने चीन से 10 अरब डॉलर से अधिक मूल्य का सामान आयात किया। कुल आयात हालांकि, 50 अरब डॉलर से अधिक रहा था। भारत से इस दौरान केवल 71.1 करोड़ डॉलर का सामान आयात किया गया। द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते को देखते हुए विभिन्न भारतीय क्षेत्रों के लिए इस द्वीप राष्ट्र में अपनी पैठ बढ़ाने के अवसर मौजूद हैं।

भारत बेकरी उत्पादों का एक महत्वपूर्ण वैश्विक निर्यातक है। इसका मूल्य 60 करोड़ डॉलर है। न्यूजीलैंड सालाना लगभग 25 करोड़ डॉलर का आयात करता है। भारत केवल 65 लाख डॉलर की जबकि चीन 2.1 करोड़ डॉलर की आपूर्ति करता है। खाद्य पदार्थों के मामले में भी यही स्थिति है। भारत वैश्विक स्तर पर 81.7 करोड़ डॉलर का और न्यूजीलैंड 45.5 करोड़ डॉलर का आयात करता है। भारत का हिस्सा केवल 77 लाख डॉलर है। खली और पशु आहार उत्पादों में भारत का वैश्विक निर्यात 38.2 करोड़ डॉलर से 50.7 करोड़ डॉलर तक है। न्यूजीलैंड का आयात 34 करोड़ डॉलर से 37.9 करोड़ डॉलर तक है।

पेट्रोलियम में भारत का निर्यात 69 अरब डॉलर

भारत रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों के विश्व के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। इसका वैश्विक निर्यात 69.2 अरब डॉलर है। न्यूजीलैंड सालाना 6.1 अरब डॉलर मूल्य के इन उत्पादों का आयात करता है, लेकिन भारत से केवल 23 लाख डॉलर का आयात करता है। चीन 18 करोड़ डॉलर की आपूर्ति करता है। दवाओं में भारत का वैश्विक निर्यात 20.6 अरब डॉलर है। न्यूजीलैंड 96 करोड़ डॉलर मूल्य की दवाएं आयात करता है। भारत इस श्रेणी में केवल 7.5 करोड़ डॉलर की आपूर्ति करता है। चीन का निर्यात 96 लाख डॉलर है।

एक लाख करोड़ डॉलर के लक्ष्य से चूकेगा भारत

वैश्विक विपरीत परिस्थितियों, कमजोर मांग और बढ़ते संरक्षणवाद के चलते माल निर्यात पर लगातार दबाव बना हुआ है। इसके चलते भारत 2025-26 के लिए अपने एक लाख करोड़ डॉलर के निर्यात लक्ष्य से काफी पीछे रह जाएगा। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए आवश्यक गति, विशेष रूप से माल निर्यात के क्षेत्र में नहीं मिल रही है। पिछले वर्ष भारत का कुल माल और सेवा निर्यात 825 अरब डॉलर था।

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