निचले स्तर से रुपया 56 पैसा हुआ मजबूत, जुलाई से दिखेगी इसमें भारी तेजी
मुंबई- डॉलर के मुकाबले मंगलवार को निचले स्तर पर पहुंचे रुपये में बुधवार को भारी उछाल देखा गया। यह 55 पैसे मजबूत होकर 90.38 के स्तर पर बंद हुआ। इस बीच एसबीआई की जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले वित्त वर्ष (2026-27) की दूसरी छमाही के बाद यानी जुलाई से रुपये में भारी मजबूत दिखेगी। यह 87 के स्तर तक जा सकता है। दो दशकों में रुपये की चाल के आधार पर इसका विश्लेषण किया गया है।
एसबीआई ने रिपोर्ट में कहा, रुपये को एक अवस्था यानी तेजी और गिरावट से दूसरी अवस्था में जाने में लगने वाले महीनों के ऐतिहासिक विश्लेषण से पता चलता है कि जुलाई, 2026 से इसमें अच्छा खासा सुधार होगा। इस साल फरवरी तक लगभग 10 फीसदी की अवमूल्यन दर को देखते हुए रुपया 6 महीनों में प्रति डॉलर 92 से 92.5 रुपये तक पहुंचने की संभावना है। लगभग 6.5 फीसदी की वृद्धि दर को देखते हुए 2026 में इसके औसतन 87 रुपये तक वापस उछलने की संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देशों के बीच अनिश्चितताओं के हावी होने से उदार निवेश का दौर समाप्त हो गया है। पिछले पिछले रुझान बताते हैं कि 2006-07 से 2013-14 के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों का शुद्ध निवेश 162.8 अरब डॉलर रहा। 2014-15 2024-25 तक यह निवेश काफी कम होकर 87.7 अरब डॉलर रह गया है। 2013-14 से पहले पोर्टफोलियो निवेश की प्रचुरता रुपये के उतार-चढ़ाव का मुख्य कारण थी। अब ऐसी स्थिति नहीं है, क्योंकि व्यापार समझौते में देरी के कारण देशों के बीच तनाव और अनिश्चितताएं ही सबसे महत्वपूर्ण कारण हैं।
वैश्विक अनिश्चितताएं रुपये पर डाल रहीं दबाव
इस साल से देशों के बीच जोखिम सूचकांक में कुछ कमी आई है, लेकिन अप्रैल-अक्तूबर के लिए सूचकांक का वर्तमान औसत मूल्य इसके दशकीय औसत से कहीं अधिक है। यह दर्शाता है कि वैश्विक अनिश्चितताएं रुपये पर कितना दबाव डाल रही हैं। रुपया वर्तमान में अवमूल्यन के दौर से गुजर रहा है। रुपये के इस दौर से बाहर निकलने की संभावना है। इसके बाद हमारा मानना है कि अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में जोरदार उछाल आने की संभावना है।
रुपये की चाल मुख्य रूप से तीन चरणों से गुजरी है
पहला चरण : डॉलर की मजबूती की तुलना में रुपये का अवमूल्यन अधिक: जनवरी 2008 से मई 2014 के दौरान डॉलर औसतन 1.7 फीसदी मजबूत हुआ जबकि रुपये का अवमूल्यन औसतन 16.3% हुआ।
दूसरा चरण : डॉलर की मजबूती के बराबर रुपये का अवमूल्यन: मई, 2014 से मार्च, 2021 के दौरान रुपये का औसत अवमूल्यन 7.9 फीसदी रहा। इसी अवधि में डॉलर का अवमूल्यन लगभग 5.1 फीसदी रहा।
तीसरा चरण: सितंबर, 2024 से अब तक डॉलर और रुपये दोनों का अवमूल्यन हो रहा है। यह समवर्ती अवमूल्यन वर्तमान वैश्विक व्यवस्था में बढ़ी हुई अनिश्चितता से चिह्नित एक विशिष्ट चरण को दर्शाता है।

