प्रतिबंध लागू होने के बाद से भारत का रूस से कच्चा तेल आयात एक तिहाई घटा
मुंबई- क्रेमलिन से जुड़े प्रमुख निर्यातकों पर 21 नवंबर को कड़े अमेरिकी प्रतिबंध लागू होने के बाद भारत का रूसी तेल आयात लगभग एक तिहाई कम हो गया। विश्लेषकों को दिसंबर में और गिरावट की आशंका है, क्योंकि रिफाइनर प्रतिबंधों का उल्लंघन करने से बचने के लिए विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं।
रियल टाइम डाटा एनालिटिक्स केप्लर के अनुसार, नवंबर में रूस से भारत का कच्चे तेल का आयात औसतन 18 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) रहा। यह उसके कुल कच्चे तेल आयात मिश्रण का 35 प्रतिशत से अधिक था। नवंबर का आयात 21 नवंबर की समय सीमा से पहले बढ़े हुए आयात के कारण 5 महीने के उच्च स्तर पर रहने की उम्मीद है। 21 नवंबर से पहले आयात 19-20 लाख बीपीडी के आसपास था। इसके बाद आयात धीमा हो गया। ऐसा लगता है कि रिफाइनरियों ने प्रतिबंधों से पहले ही कच्चे तेल का भंडार जमा कर लिया था और नियम लागू होने के बाद उसे प्रोसेस करने की योजना बना रही थीं। उसके बाद आयात लगभग 12.7 लाख बीपीडी रहा, जो मासिक आधार पर 5.70 लाख बीपीडी कम था।
वर्तमान लदान और समुद्री गतिविधि के आधार पर अनुमान है कि दिसंबर में आवक 10 लाख बीपीडी के आसपास रहेगी। यह पहले के अनुमान के अनुरूप है। भारत फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों के रूस से दूरी बनाए जाने के बाद रियायती दरों पर मिलने वाले रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है। नवंबर में रूस देश का शीर्ष आपूर्तिकर्ता बना रहा, जिसका आयातित कुल कच्चे तेल का एक तिहाई से अधिक हिस्सा था।
प्रतिबंधों के चलते रिलायंस इंडस्ट्रीज, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लि. और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स ृजैसी कंपनियों ने फिलहाल आयात रोक दिया है। रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी इसका एकमात्र अपवाद है, जो यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के बाद दुनिया के बाकी हिस्सों से आपूर्ति बंद होने के बाद मुख्य रूप से रूसी कच्चे तेल पर निर्भर है।

