70 फीसदी भारतीय नियमित रूप से दूध और डेयरी उत्पादों का लगातार कर रहे हैं सेवन
मुंबई- दस में से सात भारतीय यानी 70 फीसदी लोग नियमित रूप से दूध और डेयरी उत्पादों का सेवन करते हैं। हालांकि लोगों का रुझान अब स्मूदी, प्रोटीन शेक और फ्लेवर्ड किस्मों की ओर बढ़ रहा है। देश के 8 प्रमुख शहरों में किए गए अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है। गोदरेज जर्सी के अध्ययन के अनुसार, 2025-26 में 58 प्रतिशत दूध उपभोक्ता अब केसर या बादाम के दूध जैसी फ्लेवर्ड किस्मों को पसंद करते हैं। 51 प्रतिशत दूध को स्मूदी में मिलाते हैं।
अध्ययन में पाया गया कि बचपन की यादों के कारण पारंपरिक सादा दूध अब भी 52 प्रतिशत भारतीयों को पसंद आता है। चाय और कॉफी दूध के सेवन के प्राथमिक साधन बने हुए हैं। 59 प्रतिशत ने कहा कि वे इन पेय पदार्थों के माध्यम से दूध का सेवन करते हैं। शोध से बच्चों के दूध के कम सेवन को लेकर अभिभावकों की चिंता उजागर हुई। सर्वेक्षण में शामिल 64 प्रतिशत अभिभावकों का मानना था कि दूध के कम सेवन के कारण उनके बच्चे का हड्डियों का घनत्व (बोन डेन्सिटी) उनके बचपन की तुलना में कम हो सकता है। लगभग 54 प्रतिशत अभिभावकों का मानना था कि उनके बच्चे का शारीरिक विकास उसी उम्र में उनकी तुलना में धीमा था।
बच्चों को दूध पिलाने वाले माता-पिता में से 73 प्रतिशत ने कैल्शियम की जरूरत को प्राथमिक कारण बताया। 62 प्रतिशत ने कहा, वे प्रोटीन और ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए दूध का सेवन करते हैं। ब्रांडेड दूध ने बाजार में अपना दबदबा बना लिया है। 64 प्रतिशत परिवार ब्रांडेड आधारित दूध खरीदते हैं। 21 प्रतिशत परिवार बिना ब्रांड वाला खुला दूध खरीदते हैं। बादाम या सोया दूध जैसे वनस्पति आधारित विकल्पों का बाजार में लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा है।
60 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने ब्रांडेड दूध चुनने के प्रमुख कारणों के रूप में विश्वसनीय ब्रांड की गुणवत्ता बताया। 48 प्रतिशत ने कहा, उनको ब्रांडेड दूध में एकसमान स्वाद और बनावट मिलता है। 46 फीसदी ने कहा, यह सुविधाजनक है। लगभग 71 प्रतिशत ने कहा, दूध खरीदी में वे स्वच्छता को प्राथमिकता देते हैं। अध्ययन में पाया गया कि पारंपरिक डेयरी उत्पाद भारतीय घरों में मुख्य खाद्य पदार्थ बने हुए हैं। इनमें दही (80 प्रतिशत), पनीर (76 प्रतिशत) और मक्खन (74 प्रतिशत) की मजबूत उपस्थिति बनी हुई है।

