Shrimp Exports: गैर-अमेरिकी बाजारों में जोरदार मांग ने बढ़ाया भारतीय झींगा निर्यात, 18% की तेज वृद्धि
वैश्विक व्यापारिक चुनौतियों, अमेरिका के सख्त शुल्कों और कमजोर ताजा ऑर्डर्स के बावजूद भारत का झींगा उद्योग लगातार अपनी पकड़ मजबूत बनाए हुए है। नए बाजारों में तेज विस्तार और रणनीतिक विविधीकरण के चलते वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआती पांच महीनों में भारत के झींगा निर्यात ने उल्लेखनीय बढ़त हासिल की है। गैर-अमेरिकी बाजारों की मांग ने न केवल भारत की निर्यात गति बनाए रखी, बल्कि अमेरिकी बाजार पर निर्भरता भी कम की है।
5 महीनों में 18% की वृद्धि, 2.43 अरब डॉलर का निर्यात
CareEdge Ratings की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, FY26 के पहले पांच महीनों (अप्रैल–अगस्त 2025) में भारत के झींगा निर्यात मूल्य में 18% की वृद्धि दर्ज की गई, जो बढ़कर 2.43 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इसी अवधि में निर्यात मात्रा भी 11% बढ़कर 3.48 लाख मीट्रिक टन हो गई।
यह तेज़ी ऐसे समय में दर्ज हुई है जब अमेरिका—भारत का पारंपरिक और अब तक का सबसे बड़ा बाजार—उच्च शुल्क और व्यापारिक अनिश्चितताओं के कारण कमजोर प्रदर्शन कर रहा है।
गैर-अमेरिकी बाजारों में 30% उछाल, हिस्सेदारी 57% हुई
रिपोर्ट बताती है कि भारतीय निर्यातकों ने रणनीति बदलकर गैर-अमेरिकी बाजारों पर अधिक ध्यान देना शुरू किया है। परिणामस्वरूप:
- गैर-अमेरिकी देशों में निर्यात मूल्य 1.06 अरब डॉलर से बढ़कर 1.38 अरब डॉलर हो गया
- यह 30% की सालाना तेज वृद्धि है
- कुल निर्यात में इन बाजारों की हिस्सेदारी 51% से बढ़कर 57% पहुंच गई
CareEdge का कहना है कि कुल मूल्य वृद्धि का 86% योगदान इन्हीं देशों से आया।
इन देशों में दिखी मजबूत मांग
- चीन: सबसे बड़े गैर-अमेरिकी बाजार के रूप में 16% वृद्धि
- वियतनाम: निर्यात मूल्य दोगुना होकर 0.18 अरब डॉलर; वियतनाम तेजी से रि-एक्सपोर्ट हब बन रहा है
- बेल्जियम: निर्यात दोगुना होकर 0.14 अरब डॉलर; EU की मांग मजबूत
- जापान और रूस: स्थिरता के साथ बेहतर प्रदर्शन
EU और रूस ने भारतीय प्रसंस्करण इकाइयों को अतिरिक्त मंजूरी दी है, जिससे इन बाजारों में क्षमता बढ़ी है।
अमेरिकी बाजार में सुस्ती, बढ़ा शुल्क बनी बड़ी बाधा
अमेरिका में मांग कई महीनों से कमजोर है। FY26 के पहले पांच महीनों में यहां भारतीय झींगा निर्यात में सिर्फ 5% वृद्धि दर्ज हुई।
भारत पर बढ़ा शुल्क दबाव
- अप्रैल–अगस्त 2025: प्रभावी शुल्क 18%
- इक्वाडोर और इंडोनेशिया: सिर्फ 13–14% शुल्क
- अगस्त 2025 के बाद: भारत पर शुल्क बढ़कर 58% हो गया
- प्रतिस्पर्धी देशों पर यह 18–49% के बीच रहा
इस भारी शुल्क अंतर ने अमेरिका में भारतीय झींगे की कीमतीय प्रतिस्पर्धा कम कर दी है। इक्वाडोर और इंडोनेशिया ने इसका सीधा फायदा उठाया है।
अगस्त 2025 में भारत से झींगा निर्यात में 35% की गिरावट दर्ज की गई—जो कि अमेरिकी बाजार की सुस्ती का स्पष्ट संकेत है।
अमेरिकी दबाव कम करने के लिए उद्योग की रणनीति
भारतीय निर्यातकों ने ऊंचे अमेरिकी शुल्क के प्रभाव को कम करने के लिए कई कदम उठाए:
- नए बाजारों में एक्सेस खोला
- यूरोपीय संघ और रूस की ओर से अधिक निर्यात इकाइयों को मंजूरी मिली
- शिपमेंट को शुरुआती महीनों में आगे बढ़ाकर भेजा (फ्रंटलोडिंग) जिससे शुरुआती निर्यात मजबूत दिखा
दूसरे छमाही पर दबाव, लेकिन वैकल्पिक बाजार देंगे सहारा
CareEdge Ratings का अनुमान है कि दूसरी छमाही में झींगा निर्यात 10–12% तक कमजोर पड़ सकता है, क्योंकि:
- अमेरिका से नए ऑर्डर्स कम आ रहे हैं
- ऊंचे शुल्क लंबे समय तक बने रहने की संभावना है
- अगस्त 2025 से गिरावट के संकेत स्पष्ट हैं
रिपोर्ट के अनुसार, “त्योहारी सीजन की मांग को देखते हुए पुराने ऑर्डर्स पर अमेरिकी खरीदार कुछ हद तक ऊंचे शुल्क वहन कर रहे हैं, लेकिन नई बुकिंग कमजोर है। यदि शुल्क दबाव बढ़ा रहा तो आखिरी तिमाही चुनौतीपूर्ण हो सकती है।”
आगे का रास्ता
- वियतनाम, बेल्जियम, चीन जैसे बाजारों में निरंतर बढ़त भारत की निर्यात स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगी।
- अमेरिकी शुल्क यदि लंबे समय तक बने रहे, तो भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ेगा।
- लेकिन उद्योग का विविधीकरण का कदम आने वाले वर्षों में झींगा निर्यात को अधिक सुरक्षित और स्थिर बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।

