रतन टाटा के करीबी रहे मेहली मिस्त्री की टाटा ट्रस्ट्स से हो गई हकालपट्टी

मुंबई: टाटा ट्रस्ट्स में घमासान तेज हो गया है। ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा और उनके करीबी माने जाने वाले दो ट्रस्टियों ने दिवंगत रतन टाटा के करीबी रहे मेहली मिस्त्री को ट्रस्ट्स से बाहर का रास्ता दिखा दिया। मिस्त्री का कार्यकाल 28 अक्तूबर को खत्म हो गया और उनकी पुनर्नियुक्ति रोक दी गई।

पिछले साल टाटा समूह के संरक्षक रतन टाटा के निधन के बाद नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का प्रमुख नियुक्त किया गया था। टीवीएस मोटर के मानद चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह ने मिस्त्री को ट्रस्टी के रूप में फिर से नियुक्त किए जाने के खिलाफ मतदान किया। ये दोनों नोएल टाटा के करीबी हैं। तीन अन्य ट्रस्टी सिटीबैंक इंडिया के पूर्व सीईओ प्रमित झवेरी, वकील डेरियस खंबाटा और पुणे के समाजसेवी जहांगीर एचसी जहांगीर ने मिस्त्री की पुनर्नियुक्ति का समर्थन किया। तीनों मिस्त्री के करीबी हैं। टाटा ट्रस्ट्स में नोएल टाटा और मेहली मिस्त्री के रूप में दो प्रमुख शक्ति केंद्र बन गए हैं।

शापूरजी पलोनजी का टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी में 18 फीसदी से ज्यादा हिस्सा है। दोनों समूहों के बीच मतभेद सितंबर में तब सामने आए, जब मिस्त्री और तीन अन्य ट्रस्टियों झवेरी, खंबाटा और जहांगीर ने टाटा संस के बोर्ड में टाटा ट्रस्ट्स के प्रतिनिधि पद से विजय सिंह को हटाने के लिए मतदान किया। पिछले हफ्ते श्रीनिवासन को सर्वसम्मति से आजीवन ट्रस्टी बना दिया गया। उसके बाद मिस्त्री को भी आजीवन ट्रस्टी के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव था। मिस्त्री इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे। चुनौती इस आधार पर हो सकती है कि पिछले वर्ष 17 अक्तूबर को सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट की संयुक्त बैठक में रतन टाटा की मृत्यु के कुछ ही दिनों के भीतर सभी ट्रस्टियों को स्थायी बनाने पर सहमति बनी थी।

तीनों ट्रस्ट्स में फिर से मिस्त्री को नियुक्त करने की मांग

पिछले हफ्ते टाटा ट्रस्ट्स के सीईओ ने अन्य ट्रस्टियों को सर्कुलर जारी कर मिस्त्री को सर रतन टाटा ट्रस्ट (एसआरटीटी), सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (एसडीटीटी) और बाई हीराबाई जमशेदजी टाटा नवसारी चैरिटेबल में फिर से नियुक्त करने की मांग की। एसआरटीटी में ट्रस्टी नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन, विजय सिंह, जिमी टाटा, जहांगीर एचसी जहांगीर, मेहली मिस्त्री और डेरियस खंबाटा हैं। एसडीटीटी में ट्रस्टी नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन, विजय सिंह, मेहली मिस्त्री, प्रमित झवेरी और डेरियस खंबाटा हैं।

मिस्त्री ने रखी थी शर्त

मिस्त्री ने झवेरी, जहांगीर और खंबाटा के साथ मिलकर श्रीनिवासन की टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी और उपाध्यक्ष के रूप में पुनर्नियुक्ति को मंजूरी देते हुए एक शर्त रखी थी कि भविष्य में ट्रस्टियों के सभी नवीनीकरण सर्वसम्मति से स्वीकृत किए जाएं। अन्यथा उनकी मंजूरी वापस ले ली जाएगी। एक पक्ष इस बात पर अड़ा रहा कि नवीनीकरण आजीवन होगा और पिछली प्रथा के अनुसार नई नियुक्ति के लिए ट्रस्टियों की सर्वसम्मति की जरूरत होगी। दूसरे पक्ष ने कहा, पुनर्नियुक्ति स्वतः होती है और यह सभी ट्रस्टियों पर लागू होती है।

रतन टाटा के साथ मिलकर साइरस को बाहर कराया था मेहली ने

मेहली मिस्त्री रतन टाटा के खास थे। शापूरजी पलोनजी के प्रमुख रहे दिवंगत साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन से हटाने में मेहली ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। मेहली मिस्त्री, शापूरजी मिस्त्री और साइरस मिस्त्री के चचेरे भाई हैं। हालांकि वे उनसे अलग हो चुके हैं। वे शापूरजी पलोनजी समूह के प्रवर्तक हैं। वे ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल ट्रस्ट के ट्रस्टी भी हैं। टाटा समूह ने अस्पताल की सुविधाओं के सुधार के लिए 500 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

ये हैं मेहली मिस्त्री

2000 से रतन टाटा के कट्टर समर्थक मिस्त्री साइरस मिस्त्री के चचेरे भाई होने के बावजूद टाटा-मिस्त्री विवाद के दौरान दिवंगत टाटा चेयरमैन केसमर्थन में थे। अंततः 2016 में साइरस को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया। मेहली और साइरस की माताए बहनें हैं। दोनों मिस्त्री चचेरे भाई अपने पिता की ओर से भी रिश्तेदार हैं। साइरस के दादा और मेहली के दादा भी भाई थे। एक सिविल ठेकेदार थे और दूसरे पेंटिंग ठेकेदार। शुरू में रतन टाटा उस अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में रहते थे जहां मेहली का परिवार रहता था। मेहली जब 10 साल के थे, तब रतन टाटा से पहली बार मिले थे।

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