बाजार स्थिर रहने के बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों ने किया 6 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश

मुंबई – भारतीय शेयर बाजार में इस साल भले ही बड़ी तेजी देखने को नहीं मिली हो, लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने भरोसे और मजबूती का परिचय देते हुए अब तक करीब 6 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह आंकड़ा 2007 में बीएसई द्वारा डेटा संग्रह की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक है।

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के अनुसार, डीआईआई के इस आक्रामक निवेश ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की 1.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली के दबाव को काफी हद तक संतुलित कर दिया।

2024 में बैंकों, वित्तीय संस्थानों, पेंशन योजनाओं और म्यूचुअल फंडों जैसे घरेलू संस्थागत निवेशकों का शुद्ध निवेश 5.26 लाख करोड़ रुपये से अधिक था। विश्लेषकों का कहना है कि सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान्स (SIPs) की निरंतर मजबूती और रिटेल निवेशकों की भागीदारी के चलते यह गति आगे भी बनी रह सकती है।

डीआईआई ने इस दौरान बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं, बीमा, स्वास्थ्य सेवा और ऑटो सेक्टर में निवेश बढ़ाया है।

सालाना प्रदर्शन की बात करें तो सेंसेक्स में 5.11% और निफ्टी में 6.56% की बढ़त दर्ज की गई है। वहीं, बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 5.6% गिरा, और मिडकैप सूचकांक में 1.6% की गिरावट आई।

2008 में लेहमैन ब्रदर्स संकट के बाद से हर बार जब भी विदेशी निवेशकों (FII) ने बाजार में भारी बिकवाली की, घरेलू निवेशकों ने विपरीत दिशा में आक्रामक खरीदारी कर अच्छा लाभ कमाया।

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 17 सालों से घरेलू संस्थागत निवेशक हर गिरावट को एक अवसर की तरह लेते आए हैं। वहीं, एफआईआई के लिए घबराहट में की गई बिकवाली अक्सर नुकसानदेह साबित हुई है।

अमेरिका द्वारा भारत पर 7 अगस्त और 27 अगस्त से 25% टैरिफ लागू किए जाने के बावजूद डीआईआई के मजबूत निवेश के सहारे भारतीय शेयर बाजार स्थिर और मजबूत स्थिति में बना हुआ है।

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