एआई के स्मार्ट उपयोग से 100 करोड़ लोगों की स्वास्थ्य-शिक्षा की समस्याएं होंगी हल
मुंबई- इन्फोसिस के सह संस्थापक नंदन नीलेकणि का मानना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के स्मार्ट उपयोग से 100 करोड़ लोगों की स्वास्थ्य और शिक्षा की समस्याएं हल हो सकती हैं। इसका उपयोग सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए करना होगा। एआई से धन और शक्ति का कुछ ही लोगों के पास केन्द्रीकरण होगा, लेकिन मानव कल्याण के लिए बड़े पैमाने पर इसे लागू किया जा सकता है।
मुंबई में एक कार्यक्रम में निलेकणि ने कहा, एआई के साथ धन और शक्ति का केन्द्रीकरण होने जा रहा है। हम इससे लड़ नहीं सकते। इसमें शामिल ताकतें हममें से किसी से भी कहीं बड़ी हैं। लेकिन हमें एक अलग प्रतिमान बनाने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, वह करना होगा। भारत में एआई का बहुत अच्छा उपयोग किया जाएगा लेकिन इस तरह से कि यह लोगों के जीवन में सहायक हो। उन्हें भाषा सीखने, बेहतर स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा पाने में मदद करे।
उनका कहना है कि पश्चिमी दुनिया और चीन एआई में आगे रहने के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं। भारत को फिलहाल इस महंगी दौड़ से बचना चाहिए। इसके बजाय वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए इन साधनों का इस्तेमाल करना चाहिए। कुछ लोगों को लगता है कि एआई सभी काम कर देगा। मैं इन लोगों की इस राय से सहमत नहीं हूं। यह एक निराशाजनक विचार है। एआई का उपयोग मानव क्षमता को बढ़ाने और लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए किया जाना चाहिए।