एमएसएमई को 45 दिन में नहीं किया भुगतान तो बताना होगा देरी का कारण
मुंबई- सूक्ष्म, लघु और मध्यम यानी एमएसएमई कंपनियों को अगर कोई खरीदार 45 दिनों में भुगतान नहीं करता है तो उसे इसका कारण बताना अनिवार्य होगा। साथ ही, देय भुगतान की रकम भी बतानी होगी। केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना में यह जानकारी दी है।
केंद्र सरकार ने कहा, सभी कंपनियां जो एमएसएमई से वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति लेती हैं और जिनके आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान तय तारीख या स्वीकृति तारीख से 45 दिनों से अधिक है तो उन पर यह नियम लागू होगा।
गौरतलब है कि एमएसएमई से खरीदी करने वाली कंपनियों को 45 दिन में भुगतान करना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं होता है तो खरीदी करने वाली कंपनी के लिए यह भुगतान कमाई माना जाएगा और फिर इस पर टैक्स लगाया जाएगा। हालांकि, बाद में यह भुगतान करने पर इस टैक्स को वापस किया जा सकता है।
एक अप्रैल से इन कंपनियों के लिए निवेश और कारोबार सीमा का वर्गीकरण भी 2.5 और 2 गुना बढ़ जाएगा। सूक्ष्म उद्योग के लिए पहले एक करोड़ रुपये की निवेश सीमा थी जो अब 2.5 करोड़ और कारोबार 5 करोड़ से बढ़कर 10 करोड़ रुपये हो जाएगा। छोटे उद्योग के लिए निवेश सीमा 10 से बढ़कर 25 करोड़ और कारोबार 50 से बढ़कर 100 करोड़ रुपये होगा। मध्यम उद्योगों के लिए यह 50 से बढ़कर 125 करोड़ और 250 करोड़ से बढ़कर 500 करोड़ रुपये हो जाएगी।