बाजार की गिरावट के कारण 30,000 करोड़ रुपये के भारी-भरकम आईपीओ टले

मुंबई- घरेलू शेयर बाजार में पिछले छह महीने से जारी भारी उतार-चढ़ाव के कारण 30,000 करोड़ रुपये के आईपीओ टल गए हैं। कंपनियों को डर है कि अगर वो बाजार में उतरती हैं तो उनके इश्यू को कम रिस्पांस मिल सकता है। इससे उनका मूल्यांकन भी घट सकता है।

पिछले एक साल में प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम यानी आईपीओ की तेजी मार्च में पूरी तरह से ठप हो गई है। बाजार की अस्थिरता ने निवेशकों को अधिक सतर्क और जोखिम से बचने वाला बना दिया है। इसका असर प्राथमिक बाजार पर पड़ रहा है। परिणामस्वरूप 2025 की पहली छमाही में आईपीओ लॉन्च करने की योजना बनाने वाली कई कंपनियों ने अब इन्हें टाल दिया है।

अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कंपनियां आईपीओ में तेजी ला सकती हैं। हालांकि कई कंपनियां प्रतीक्षा और निगरानी की स्थिति में रहेंगी। वर्तमान में, 1.17 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रहीं लगभग 67 कंपनियां सेबी की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। 51 कंपनियों ने जनवरी से मार्च तक सेबी के पास मसौदा दाखिल की हैं। उद्योग के विशेषज्ञों को अभी भी भरोसा है कि आईपीओ से जुटाई गई रकम दो लाख करोड़ रुपये को पार कर सकती है।

जो बड़े आईपीओ बाजार में उतरने वाले हैं उनमें भारत का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ जियो का हो सकता है। इसका लक्ष्य 40,000 करोड़ रुपये जुटाने का है। 100 अरब डॉलर से अधिक का मूल्यांकन हो सकता है। एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने 15,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है। इसका अनुमानित मूल्यांकन 15 अरब डॉलर है। प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज एनएसई का आईपीओ सबसे अधिक प्रतीक्षित आईपीओ में से एक होगा, यदि इसे मंजूरी मिलती है। कंपनी का मूल्य 50 अरब डॉलर से अधिक है।

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