फिक्स्ड डिपॉजिट पर पर ऊंचा ब्याज पाने का अंतिम मौका, घटने लगीं अब दर
आरबीआई की ओर से रेपो दर घटाने के करीब एक महीने बाद बैंकों ने जमा पर ब्याज दरें घटानी शुरू कर दी हैं। इससे ऊंची ब्याज दर पर फिक्स्ड डिपॉजिट करने का अंतिम मौका है।
भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने दो साल बाद इस बार फरवरी में रेपो दर को 0.25 फीसदी घटाया था। इसके बाद से अब तक करीब एक महीने तक बैंकों ने कर्ज और जमा दोनों पर ब्याज दरों को जस का तस रखा था। हालांकि अब कर्ज और जमा पर ब्याज दरें घटनी शुरू हो गई हैं। हालांकि, इसके बावजूद कई बैंक अभी भी जमा पर ऊंची ब्याज दर दे रहे हैं। ऐसे में अगर आप बाजार की इस भारी गिरावट में एक सुरक्षित और अच्छी ब्याज दर पर पैसा जमा करना चाहते हैं तो यह संभवत: अंतिम अवसर है। कई सारे बैंक 7 फीसदी से लेकर 9 फीसदी तक के बीच ब्याज दे रहे हैं। वरिष्ठ नागरिकों को तो इससे भी ज्यादा ब्याज मिल रहा है।
बंधन बैंक एक साल के एफडी पर इस समय 8.05 फीसदी ब्याज दे रहा है। इंडसइंड बैंक इसी अवधि के लिए 7.75 फीसदी ब्याज दे रहा है। यस बैंक जहां 7.75 फीसदी दे रहा है, वहीं आरबीएल बैंक भी इसी दर से एफडी करा रहा है। कर्नाटक बैंक जहां 7.25 फीसदी ब्याज दे रहा है, वहीं डीसीबी बैंक इन सबसे कम 7.1 फीसदी ब्याज की पेशकश कर रहा है। अलग-अलग अवधि पर एचडीएफसी बैंक 7.4 फीसदी, आईसीआईसीआई बैंक 7.25 फीसदी, कोटक महिंद्रा 7.4 फीसदी और फेडरल बैंक 7.5 फीसदी ब्याज दे रहा है। वरिष्ठ नागरिकों को 0.50 फीसदी अधिक मिल रहा है। एसबीआई की ब्याज दर 7 से 7.5 फीसदी, बैंक ऑफ बड़ौदा की 7.15 और यूनियन बैंक की 7.30 फीसदी है।
लंबी अवधि में ब्याज दरों में 0.50 फीसदी का अंतर ब्याज आय में काफी वृद्धि कर सकता है। यदि आपकी कुल एफडी रकम 10 लाख है और कोई बैंक 0.50 फीसदी ज्यादा ब्याज दे रहा है तो इसका मतलब कि आप साल में 5,000 अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। यानी वरिष्ठ नागरिकों को जो दर बैंक दे रहे हैं, उससे उनको ज्यादा कमाई हो सकती है।
आप एफडी के एवज में ओवरड्राफ्ट की भी सुविधा ले सकते हैं। कई सारे बैंक इस तरह की सुविधा देते हैं जहां आप एफडी के एवज में उधारी ले सकते हैं। ज्यादातर बैंक एफडी रकम की तुलना में 70 फीसदी का ओवरड्राफ्ट देते हैँ। उदाहरण के लिए अगर एफडी 5 लाख रुपये का है और बैंक 70 फीसदी तक ओवरड्राफ्ट सुविधा दे रहा है तो आप 3.5 लाख रुपये तक की क्रेडिट सीमा प्राप्त कर सकते हैं। एफडी को रिन्यूअल करने पर ओवरड्राफ्ट सुविधा भी रिन्यू हो जाती है। इसलिए ओवरड्राफ्ट सुविधा का लाभ उठाने के लिए दोबारा दस्तावेजीकरण प्रक्रिया नहीं करनी होती है।