प्रति व्यक्ति कमाई दो वित्त वर्षों में 40,000 रुपये बढ़ी, चालू वित्त वर्ष में 2.35 लाख का अनुमान
मुंबई- देश के प्रति व्यक्ति की औसत आय पिछले दो वित्त वर्षों में 40,000 रुपये बढ़ी है। बेहतर नीति-निर्माण और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के कारण मौजूदा कीमतों पर अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में यह 2.35 लाख रुपये हो सकती है। इसका मतलब एक दशक में 9.1 फीसदी चक्रवृद्धि दर से बढ़त हुई है।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, निजी खपत आर्थिक विकास का प्रमुख चालक रही है, खासकर स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और होटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में। इस कारण वित्त वर्ष 2025 में प्रति व्यक्ति निजी खपत 6.6 प्रतिशत की तेज गति से बढ़ी। पिछले वर्ष में यह 4.6 प्रतिशत थी।
हालांकि, बुनियादी ढांचे और व्यवसायों में निवेश को दर्शाने वाला पूंजी निर्माण 6.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2024 में 8.8 प्रतिशत से यह कम रहेगा। रुपये के कमजोर होने से निर्यात में 7.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पूंजी निर्माण में मंदी और कमोडिटी की कम कीमतों के कारण आयात में गिरावट आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, धीमी पूंजी निर्माण जैसी चुनौतियों के बावजूद, बढ़ती खपत, नीतिगत उपायों और औद्योगिक विकास द्वारा समर्थित भारत की आर्थिक गति मजबूत बनी हुई है। बैंकों द्वारा विधिवत संचालित विभिन्न नीति/नियामक उपायों के कारण भारत के वित्तीय समावेशन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। अब 80 फीसदी से अधिक वयस्कों के पास औपचारिक वित्तीय खाता है। 2011 में यह 50 फीसदी था। इससे भारतीय परिवारों की बचत दर के वित्तीयकरण में सुधार हुआ है।
वित्त वर्ष 2024 के लिए भारत की बचत दर सकल घरेलू उत्पाद का 30.7 फीसदी है, जो वैश्विक औसत 28.2 फीसदी से अधिक है। निजी क्षेत्र की बचत (सबसे बड़ा हिस्सा) वित्त वर्ष 2024 में मामूली गिरावट के साथ 28.8 फीसदी (वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी का 29.6%) हो गई। घरेलू बचत वित्त वर्ष 2024 में 7 साल के निचले स्तर से घटकर जीडीपी का 18.1% हो गई, क्योंकि भौतिक संपत्ति में बचत वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी के 13.4 फीसदी से घटकर 2024 में जीडीपी का 12.8 फीसदी हो गई।