6 दिन में शेयर बाजार में निवेशकों को हुआ 25 लाख करोड़ रुपये का भारी घाटा
मुंबई- बुधवार को लगातार छठे दिन भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ खुले। देश की सबसे वैल्यूएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर भी 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। अगर सेक्टर की बात करें तो निफ्टी बैंक, ऑटो, मेटल, फार्मा, रियल्टी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑयल एंड गैस सभी 1% से 2.5% तक नीचे थे।
पिछले छह दिन में सेंसेक्स करीब 3,000 अंक गिरा है जिससे निवेशकों को करीब 25 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी। इससे पहले पांच कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स में 2,290 अंक की गिरावट आई है जबकि निफ्टी 667 अंक गिरा है। उतार-चढ़ाव का सबसे ज्यादा असर मिड और स्मॉल कैप शेयरों पर पड़ा है। जानकारों का कहना है कि इस तरह की गिरावट बाजार के सामान्य चक्र का हिस्सा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोमवार को स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर टैरिफ 10% से बढ़ाकर 25% कर दिया। इससे पहले कुछ देशों को छूट मिली हुई थी, वो भी अब खत्म हो गई। अमेरिका ने आने वाले दिनों में दूसरे देशों पर भी टैरिफ लगाने की बात कही है। मेक्सिको, कनाडा और यूरोपीय संघ ने इस फैसले की निंदा की है। यूरोपीय संघ ने कहा कि वह सख्त और उचित जवाबी कार्रवाई करेगा। इससे व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है।
एनएसडीएल के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने इस साल अब तक 88,139 करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेचे हैं, जिससे बाजार में गिरावट आई है। जानकारों का कहना है कि बाजार ओवरसोल्ड जोन में है और इसमें सुधार की संभावना है, लेकिन चूंकि FII तेजी में बेचने की संभावना रखते हैं, इसलिए ऊपर की ओर बढ़त सीमित है।
अमेरिका में 10 साल के ट्रेजरी बॉन्ड की यील्ड 4.55% और 2 साल के बॉन्ड की यील्ड 4.3% पर है। डॉलर इंडेक्स 108.36 पर है, जिससे भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी का आउटफ्लो बढ़ा है। बॉन्ड यील्ड बढ़ने से अमेरिकी निवेश ज्यादा आकर्षक हो जाते हैं। डॉलर मजबूत होने से विदेशी पूंजी की लागत बढ़ जाती है, जिससे बाजार की धारणा प्रभावित होती है।