ओला उबर की मनमानी, जितनी बार सर्च करो, उतनी बार बढ़ जाता है किराया
मुंबई- ओला और उबर ग्राहकों को ठगने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती हैं। यह दोनो कंपनियां राइड के नाम पर ग्राहकों को तरह तरह से ठगती हैं। उदाहरण के तौर पर आप जितनी बार किसी लोकेशन पर जाने के लिए इन दोनों के एप पर सर्च करेंगे, उतनी बार किराया बढ़ता ही जाता है। कई बार तो ऐसा होता है कि जो किराया एप में बुकिंग के समय दिखाया जाता है, वह राइड पूरी होने के बाद अचानक बढ़ जाता है।
उदाहरण के तौर पर अगर आप नोएडा से दिल्ली या दिल्ली से गुरुग्राम के लिए बुकिंग करते हैं और इसका किराया 100 रुपये या 200 रुपये दिखाता है। अगर आप इसी के लिए दो तीन बार सर्च कर लें तो यह किराया 125 से 240 रुपये तक हो जाता है। यह इन कंपनियों की मनमानी और एकाधिकार का नतीजा है। कंपनियां यह अनुमान लगाती हैं कि ग्राहक को जाने की मजबूरी है और इसलिए अचानक किराया बढ़ा देती हैं।
ओला या उबर पर आप एंड्रॉयड फोन या आईफोन से कैब बुक करते हैं तो किराए में अंतर आएगा। सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने इस पर कैब एग्रीगेटर्स ओला और उबर को गुरुवार को नोटिस भेजा है।
कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्टर प्रल्हाद जोशी ने सोशल मीडिया पर बताया कि उपभोक्ता मामलों के विभाग ने इस विषय पर गौर किया और CCPA को जांच के निर्देश दिए हैं। शिकायतकर्ताओं ने बताया था कि कुछ फोन मॉडल पर ज्यादा किराया, जबकि अन्य पर कम दिखाया जाता है।
ओला और उबर को अब अपने किराए तय करने की प्रोसेस और अलग-अलग किराया वसूलने के कारणों को स्पष्ट करने के लिए कहा गया है। CCPA ने उन रिपोर्ट्स के बाद कैब एग्रीगेटर्स को यह नोटिस भेजा है, जिनमें कहा गया था कि दोनों कंपनियां एक ही सर्विस के लिए अलग-अलग किराया वसूलती हैं। जब यात्री एक ही जगह के लिए कैब बुक करते हैं तो एंड्रॉयड पर अलग और आईफोन पर अलग किराया दिखता है।
दिसंबर में यह मामला तब चर्चा में आया था जब एक X यूजर ने दो फोन की तस्वीर शेयर की थी, जिसमें उबर एप पर एक खास स्थान के लिए कथित तौर पर अलग-अलग किराए दिखाए गए थे। जैसे ही वह पोस्ट वायरल हुआ, उबर ने आरोपों का जवाब देते हुए इस बात से इनकार किया था। कंपनी ने पिक-अप पॉइंट, एस्टीमेट अराइवल टाइम (ETA) और ड्रॉप-ऑफ पॉइंट सहित अन्य चीजों को किराए में किसी भी अंतर के लिए जिम्मेदार ठहराया था।