सोने की तरह ही अब चांदी के गहनों की भी होगी हॉलमार्किंग, बढ़ेगी शुद्धता

मुंबई- सोने की तरह चांदी के लिए भी ‘हॉलमार्किंग’ को जरूरी करने पर सरकार विचार कर रही है। भारतीय मानक ब्यूरो यानी बीआईएस से इसकी व्‍यावहारिक पहलुओं का आकलन करने को कहा गया है।

अगर सरकार इसे अलमीजामा पहनाती है तो ग्राहकों को बड़ा फायदा होगा। चांदी की विश्‍वसनीयता को लेकर उनकी चिंता खत्‍म हो जाएगी। उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने 78वें बीआईएस स्थापना दिवस समारोह में कहा, ‘चांदी की ‘हॉलमार्किंग’ के लिए उपभोक्ताओं की ओर से मांग आ रही है। बीआईएस इस पर विचार-विमर्श कर फैसला ले सकता है।’

मंत्री ने कहा, इस दिशा में काम शुरू हो चुका है। सरकार हितधारकों के साथ विचार-विमर्श और बीआईएस की ओर से व्यवहार्यता आकलन पूरा होने के बाद फैसला लेगी। बीआईएस से व्यवहार्यता पर काम करने के साथ उपभोक्ताओं और आभूषण डीलर से प्रतिक्रिया लेने को कहा गया है।

हॉलमार्किंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत किसी धातु की शुद्धता को प्रमाणित किया जाता है। यह एक तरह का लेबल या निशान होता है जो बताता है कि उस धातु में कितना शुद्ध सोना या चांदी है। चांदी की ‘हॉलमार्किंग’ यानी सफेद धातु की शुद्धता को प्रमाणित करना अभी दुकानदार या ग्राहक की इच्छा पर निर्भर है।

बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया कि ब्यूरो तीन से छह महीने में अनिवार्य चांदी ‘हॉलमार्किंग’ लागू करने के लिए तैयार हो सकता है। हितधारकों के साथ विचार-विमर्श जारी है। तिवारी ने कहा, ‘हितधारकों के साथ कई दौर की चर्चा हुई है। वे इसके पक्ष में हैं। छह अंक वाले ‘अल्फान्यूमेरिक कोड’ पर चर्चा जारी है।’

यह कदम जून, 2021 में शुरू की गई सोने की अनिवार्य ‘हॉलमार्किंग’ के सफल कार्यान्वयन के बाद उठाया गया है, जो अब 361 जिलों में विस्तारित हो चुकी है। इसका उद्देश्य उपभोक्ता हितों की रक्षा करना और सोने के उत्पाद की प्रामाणिकता सुनिश्चित करना है। मौजूदा ‘हॉलमार्किंग’ प्रणाली में छह-अंकीय ‘अल्फान्यूमेरिक कोड’ शामिल है, जो सोने की शुद्धता को प्रमाणित करता है। अब खरीदे जा रहे करीब 90 फीसदी आभूषणों की ‘हॉलमार्किंग’ की जाती है।

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