सुप्रीम कोर्ट का आदेश, बच्चे सेवा नहीं करें तो संपत्तियों में नहीं ले सकते हिस्सा

मुंबई- सुप्रीमकोर्ट ने पिछले सप्ताह बुजुर्गों को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले से अब उन बच्चों को सतर्क रहने की जरूरत है जो बुजुर्ग माता-पिता से संपत्ति अपने नाम कराने या फिर उनसे गिफ्ट हासिल करने के बाद उन्हें अपने हाल पर छोड़ देते हैं। ऐसा करने वाले संतान की अब खैर नहीं है। यह एक फैसला है जिससे बुजुर्गों की सेवा हर हाल में करनी होगी।

देश में ऐसे बहुतेरे मामले सामने आते हैं, जब संतानें माता-पिता को बुढ़ापे में उनके हाल पर छोड़ देती हैं। यह करीब हर घर की कहानी है। खासकर बढ़ती न्यूक्लियर फैमिली के कल्चर में बुजुर्गों को बेइज्जत तो किया ही जाता है साथ ही उन्हें वृद्धाश्रम में भी भेज दिया जाता है। ऐसे में बुजुर्ग बेसहारा हो जाते हैं और दर-दर की ठोकरें खाते हैं। अब ऐसा नहीं चलेगा। सुप्रीमकोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के तहत माता-पिता से संपत्ति या फिर गिफ्ट लेने के बाद उन्हें ठुकराने वालों को बड़ी कीमत चुकानी होगी। ऐसे बच्चों को प्रॉपर्टी या गिफ्ट या फिर दोनों लौटाने होंगे। बुजुर्ग माता-पिता का भरण-पोषण हर हाल में करना होगा। उन्हें उनके हाल पर छोड़ देना काफी महंगा पड़ सकता है।

सुप्रीमकोर्ट के इस अहम फैसले से बुजुर्गों को खासा फायदा होने वाला है। इस फैसले से उम्मीद बंधी है कि बच्चे बुजुर्ग माता-पिता का ख्याल रखेंगे और उनके साथ अच्छा व्यवहार भी करेंगे। इससे वरिष्ठ नागरिकों के जीवन में सुधार आएगा। आमतौर पर व्यवहार में देखा जाता है कि कई अभिभावक को उनके बच्चे प्रॉपर्टी और गिफ्ट लेने के बाद नजरअंदाज कर देते हैं। उन्हें खुद की देखभाल करने के लिए छोड़ दिया जाता है।

कोर्ट ने कहा, बच्चों को अब माता-पिता की प्रॉपर्टी और बाकी गिफ्ट दिए जाने के बाद एक शर्त उसमें शामिल होगी। शर्त के मुताबिक, बच्चों को माता-पिता का ख्याल रखना होगा। उनकी जरूरतों को पूरा करना होगा। अगर बच्चों ने इन शर्तों को नहीं माना और माता-पिता को उनके हाल पर अकेला छोड़ दिया तो उनसे सारी प्रॉपर्टी और बाकी गिफ्ट वापस ले लिए जाएंगे। प्रॉपर्टी का ट्रांसफर शून्य घोषित कर दिया जाएगा।

मध्यप्रदेश की उर्मिला दीक्षित ने बेटे को इस शर्त के साथ संपत्ति उपहार में दी थी कि वह उनकी सेवा करेगा। बेटे की उपेक्षा व दुर्व्यवहार के कारण मां ने ट्रिब्युनल में गिफ्ट डीड रद्द करने का केस किया और जीत गईं लेकिन हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस आदेश को रद्द कर दिया। जब मामला सुप्रीमकोर्ट में पहुंचा तो उसने हाईकोर्ट की खंडपीठ के निर्णय को पलट दिया। जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने कहा, यदि कोई वरिष्ठ नागरिक किसी व्यक्ति को इस शर्त पर संपत्ति हस्तांतरित करता है कि वह उनकी सेवा करते हुए बुनियादी सुविधाएं देगा लेकिन संपत्ति लेने वाला इस शर्त का उल्लंघन करता है तो संपत्ति का हस्तांतरण धोखाधड़ी माना जाएगा।

वरिष्ठ नागरिक चाहे तो इसे शून्य घोषित किया जा सकता है। ऐसे मामलों में ट्रिब्युनल बुजुर्ग माता-पिता को संपत्ति वापस हस्तांतरित करने और बेदखली का आदेश दे सकता है। वरिष्ठ नागरिकों द्वारा उपहार में दी गई संपत्ति को वापस करने की ट्रिब्युनल की शक्ति के बिना, बुजुर्गों को लाभ पहुंचाने वाले कानून के उद्देश्य ही विफल हो जाएंगे।

शीर्ष अदालत के मुताबिक, बच्चों द्वारा बुजुर्गों की सेवा नहीं करने पर संपत्ति का ट्रांसफर शून्य घोषित तो होगा ही, साथ ही ऐसे मामले में संपत्ति ट्रांसफर धोखाधड़ी या जबरदस्ती के तहत किया गया माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में साफतौर पर कहा है कि अगर बच्चे माता-पिता की देखभाल करने में विफल रहते हैं तो माता-पिता ने उन्हें जो प्रॉपर्टी और गिफ्ट दिए हैं वो वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत रद्द किया जा सकता है। कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जहां धोखाधड़ी के जरिये संपत्ति हथिया ली जाती है और बाद में उसे कानूनी तौर पर ट्रांसफर बताया जाता है। इसलिए इस फैसले से धोखाधड़ी भी रुकेगी।

गिफ्ट डीड एक कानूनी दस्तावेज है जिसका उपयोग किसी संपत्ति या संपत्ति के मालिक को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित करने के लिए किया जाता है। यह पैसे के आदान-प्रदान के बिना मालिकाना हक का हस्तांतरण है। यानी इसमें कोई भी रजिस्ट्री शुल्क या ट्रांसफर शुल्क या किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लगता है।

बेहतर और सुरक्षित बुढ़ापे के लिए हर वरिष्ठ नागरिक को सतर्क रहने की भी जरूरत है। कभी भी अपनी पूरी संपत्ति का 100 फीसदी हिस्सा बच्चों को ट्रांसफर न करें। चाहे बच्चा कामयाब हो या असफल हो, दोनों स्थितियों में बुजुर्गों को बचना जरूरी है। उदाहरण के तौर पर प्रसिद्ध उद्योगपति रेमंड के मालिक विजयपत सिंघानिया ने 2015 में रेमंड समूह में अपनी पूरी 37.17 फीसदी हिस्सेदारी छोटे बेटे गौतम सिंघानिया को दे दी। इसके बाद गौतम ने अपने पिता विजयपत को बेदखल कर दिया। विजयपत इस समय किराये के घर में रह रहे हैं। यह बताता है कि बुढ़ापे को सुरक्षित रखने के लिए कभी भी अपनी संपत्ति को पूरी तरह से किसी को भी ट्रांसफर न करें।

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