बीमा में आ सकेगा 100 फीसदी एफडीआई, वित्त मंत्रालय का संशोधन का प्रस्ताव
मुंबई- आने वाले समय में भारतीय बीमा क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लाना संभव होगा। वित्त मंत्रालय ने बीमा अधिनियम, 1938 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है। इसमें बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 100 प्रतिशत तक बढ़ाना, चुकता पूंजी में कमी और समग्र लाइसेंस का प्रावधान शामिल है।
वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने प्रस्तावित संशोधनों पर 10 दिसंबर तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं। प्रस्ताव के मुताबिक, भारतीय बीमा कंपनियों में एफडीआई की सीमा 74 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी की जाएगी। वित्त मंत्रालय ने दिसंबर, 2022 में बीमा अधिनियम, 1938 और बीमा नियामक विकास अधिनियम, 1999 में प्रस्तावित संशोधनों पर टिप्पणियां आमंत्रित कीं थीं।
26 नवंबर को जारी नोटिस के मुताबिक, नागरिकों के लिए बीमा की पहुंच सुनिश्चित करने, बीमा उद्योग के विस्तार और विकास को बढ़ावा देने और व्यावसायिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए बीमा कानूनों के कुछ प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित संशोधन मुख्य रूप से पॉलिसीधारकों के हितों को बढ़ावा देने, उनकी वित्तीय सुरक्षा बढ़ाने, बीमा बाजार में अधिक कंपनियों के प्रवेश की सुविधा प्रदान करने पर केंद्रित हैं। इससे आर्थिक विकास और रोजगार सृजन होगा।
प्रस्ताव में कहा गया है कि इस तरह के बदलावों से बीमा उद्योग की दक्षता बढ़ाने, व्यापार करने में आसानी होगी। 2047 तक सभी के लिए बीमा के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी। विदेशी पुनर्बीमाकर्ताओं के लिए शुद्ध स्वामित्व वाली राशि की जरूरत को भी 5,000 करोड़ रुपये से घटाकर 1,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है। वर्तमान में देश में 25 जीवन बीमा कंपनियां और 34 गैर-जीवन या सामान्य बीमा कंपनियां हैं।