एसबीआई ने लोन के एवज में रखा कागजात नहीं दिया, अब एक लाख का जुर्माना
मुंबई- एसबीआई को लोन के कागजात नहीं देने पर एक लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा। मामला कटक का है। एक व्यक्ति ने कर्ज लिया था और 14 साल पहले ही वन टाइम सेटलमेंट योजना (OSS) के तहत कर्ज वापस कर दिया। लेकिन बैंक के पास गिरवी रखी गई संपत्ति के मूल दस्तावेज उन्हें वापस नहीं मिले। पीड़ित ने उड़ीसा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब कोर्ट ने पीड़ित व्यक्ति को एक लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
कटक के निवासी 70 वर्षीय सुजीत कुमार घोष ने साल 1986 में एसबीआई के कटक ब्रांच से 72,000 रुपये का कर्ज लिया था। वह उस लोन का ईएमआई समय पर चुकाने में विफल रहे। इस वजह से उनका अकाउंट एनपीए हो गया। इसके बाद बैंक ने स्थानीय अदालत में घोष के खिलाफ लोन रिकवरी का केस शुरू किया।
घोष ने 26 जुलाई 2010 को लोन अकाउंट का कुल बकाया 1,06,337 रुपये का भुगतान कर दिया। इसके बाद बैंक ने 24 दिसंबर 2010 को ‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट’ जारी कर दिया। इसके बाद उन्होंने गिरवी रखी गई सपंत्ति के मूल कागजात मांगे। इस पर बैंक ने कहा कि वे गिरवी रखे गए दस्तावेज़ वापस नहीं कर सकते क्योंकि खाते को एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया था और इसके संबंध में कार्यवाही सिविल जज (सीनियर डिवीजन), प्रथम न्यायालय, कटक के समक्ष लंबित थी।
इसके बाद घोष हाई कोर्ट गए। कोर्ट ने कहा ‘एक बार ऋण का समाधान हो जाने के बाद, बैंक के पास लंबित मुकदमे की परवाह किए बिना, टाइटल डीड (बंधक दस्तावेज़) की वापसी को रोकने का कोई कानूनी कारण नहीं था। इसलिए, दस्तावेज़ वापस करने से इनकार करना अनुचित है।’ न्यायमूर्ति पाणिग्रही ने स्पष्ट किया, ‘याचिकाकर्ता की बढ़ती उम्र और बिना किसी गलती के भी दस्तावेज प्राप्त करने में उसे हो रही कठिनाइयों को देखते हुए, इस फैसले की प्रति प्रस्तुत किए जाने की तिथि से 30 दिनों के भीतर उसे मुआवजे के रूप में 1 लाख रुपए का भुगतान करे।