पीएलआई में स्मार्टफोन उद्योग से चार साल में 19 गुना ज्यादा मिला राजस्व

मुंबई- स्मार्टफोन उद्योग के लिए शुरू की गई उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन यानी पीएलआई योजना से पिछले चार साल में 1.10 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ है। यह सरकार की ओर से योजना के तहत खर्च किए गए 5,800 करोड़ रुपये की तुलना में 19 गुना ज्यादा है।

सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के मुताबिक, एपल और सैमसंग जैसी बड़ी कंपनियों ने पीएलआई के तहत भारत में उत्पादन बढ़ाया है। इससे निर्यात और नौकरियों को बढ़ावा मिल रहा है। वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2024 के बीच 12.55 लाख करोड़ रुपये के सामान का उत्पादन किया गया है।

आंकड़ों के मुताबिक, उद्योग ने मोबाइल के कलपुर्जे और कंपोनेंट पर चार साल में 48,000 करोड़ रुपये शुल्क चुकाए गए हैं। सरकार को जीएसटी से 62,000 करोड़ रुपये मिले हैं। सरकार ने अप्रैल 2020 में पीएलआई स्कीम का ऐलान किया और इसी के साथ मोबाइल फोन पर जीएसटी दर को 12 से 18 फीसदी कर दी गई। इससे सरकारी खजाने को बड़ा फायदा हुआ है।

आईफोन बनाने वाली फॉक्सकॉन, टाटा (विस्ट्रॉन) और पेगाट्रॉन के साथ सैमसंग ने पीएलआई का सबसे ज्यादा फायदा उठाया है। करीब तीन लाख प्रत्यक्ष और छह लाख अप्रत्यक्ष रोजगार दिए गए हैं। स्मार्टफोन निर्यात में भारत 23 वें से तीसरे स्थान पर पहुंचा है। भारत सबसे ज्यादा अमेरिका को स्मार्टफोन का निर्यात कर रहा है। चार वर्षों की पीएलआई अवधि में निर्यात बढ़कर 2,87,000 करोड़ रुपये हो गया।

स्मार्टफोन पीएलआई योजना के तहत 10 कंपनियों को चुना गया। इनमें 5 वैश्विक और 5 स्थानीय कंपनियों को कुल 38,601 करोड़ रुपये की छूट के लिए चुना गया। हालांकि, पहले साल में सैमसंग मानकों पर खरी नहीं उतरी, तो उसे सब्सिडी नहीं मिली। भारतीय कंपनियों में सिर्फ डिक्सन टेक एक कंपनी है, जो पीएलआई की पात्रता हासिल कर पाई है।

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