जोमैटो और स्विगी बुरे फंसे, बड़े रेस्टोरेंट को फायदा पहुंचाने का लगा आरोप
मुंबई- जोमैटो और स्विगी मुश्किल में फंसते नजर आ रहे हैं। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने अपनी जांच में पाया है कि जोमैटो और स्विगी ने कुछ रेस्टोरेंट्स को फायदा पहुंचाने के लिए प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन किया है। सीसीआई ने मार्च 2024 में अपनी रिपोर्ट जोमैटो, स्विगी और शिकायतकर्ता रेस्टोरेंट समूह को सौंप दी थी।
सीसीआई की जांच राष्ट्रीय रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) की शिकायत के बाद शुरू हुई थी। एनआएआई ने आरोप लगाया था कि जोमैटो और स्विगी की व्यावसायिक रणनीतियां अनुचित हैं। ये रेस्टोरेंट्स पर नकारात्मक असर डाल रही हैं। सीसीआई के दस्तावेजों से पता चलता है कि जोमैटो ने कम कमीशन के बदले में कुछ रेस्टोरेंट्स के साथ एक्सक्लूसिव करार किए थे। वहीं, स्विगी ने कुछ रेस्टोरेंट्स को यह आश्वासन दिया था कि अगर वे सिर्फ स्विगी के प्लेटफॉर्म पर ही लिस्ट होंगे तो उनका बिजनेस बढ़ेगा।
आयोग ने कहा है कि स्विगी, जोमैटो और उनके रेस्टोरेंट पार्टनर्स के बीच एक्सक्लूसिव करार बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ने नहीं देते हैं। स्विगी ने जांचकर्ताओं को बताया था कि ‘स्विगी एक्सक्लूसिव’ प्रोग्राम को 2023 में बंद कर दिया गया था। लेकिन, कंपनी अब गैर-महानगरीय शहरों में ‘स्विगी ग्रो’ नाम का एक वैसा ही प्रोग्राम शुरू करने की तैयारी में है।
CCI मामले का उल्लेख स्विगी के IPO प्रॉस्पेक्टस में आंतरिक जोखिमों में से एक के रूप में किया गया है। इसमें कहा गया है कि प्रतिस्पर्धा अधिनियम के प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन के कारण पर्याप्त मौद्रिक दंड लग सकता है। पिछले कुछ सालों में स्विगी और जोमैटो ने लाखों रेस्टोरेंट्स को अपने ऐप पर लिस्ट करके खाने के ऑर्डर देने के तरीके को बदल दिया है। यह बदलाव ऐसे समय में आया जब स्मार्टफोन और ऑनलाइन ऑर्डरिंग दोनों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा।
प्रतिस्पर्धा आयोग के दस्तावेजों में कहा गया है कि स्विगी और जोमैटो दोनों ने हाल के वर्षों में रेस्टोरेंट्स पर कीमतों में समानता बनाए रखने के लिए दबाव डाला है। ऐसा करके उन्होंने सीधे बाजार में प्रतिस्पर्धा को कम किया है। रेस्टोरेंट्स को अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कम कीमतों की पेशकश करने से रोका है।