खाद्य तेलों के बढ़ते दाम पर सरकार का शिकंजा, कंपनियं बताएं इसका कारण
मुंबई- खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में अचानक हो रही वृद्धि पर सरकार ने तेल कंपनियों से जवाब मांगा है। सरकार ने इन कंपनियों से पूछा जब कम शुल्क पर आयातित पर्याप्त भंडार है तो फिर कीमतें कैसे बढ़ रही हैं। इसका स्पष्टीकरम दें। साथ ही, कीमतों की स्थिरता सुनिश्चित करें।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा, उद्योग को कारण बताने के लिए कहा गया है कि आने वाले त्योहारी सीजन में खुदरा कीमतों को बनाए रखने के सरकार के निर्देशों के बावजूद आयात शुल्क वृद्धि की घोषणा के बाद से कीमतें क्यों बढ़ रही हैं। मंत्रालय का दावा है कि कम शुल्क पर आयातित स्टॉक आसानी से 45-50 दिनों तक चलेगा। इसलिए प्रोसेसर को अधिकतम खुदरा कीमतें बढ़ाने से बचना चाहिए। कीमत में बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है जब त्योहारी सीजन करीब है और मांग बढ़ेगी।
14 सितंबर को केंद्र ने घरेलू तिलहन की कीमतों को समर्थन देने के लिए विभिन्न खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुल्क में बढ़ोतरी की थी। 17 सितंबर को खाद्य मंत्रालय ने खाद्य तेल संगठनों की बैठक बुलाकर खुदरा कीमतों को स्थिर रखने को कहा था। प्रमुख खाद्य तेल संगठनों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई थी कि प्रत्येक तेल का मूल्य शून्य फीसदी और 12.5 फीसदी मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) पर आयातित खाद्य तेल स्टॉक की उपलब्धता तक बनाए रखा जाए।
केंद्र सरकार के मुताबिक, कम शुल्क पर आयातित खाद्य तेलों का करीब 30 लाख टन भंडार है। यह 45 से 50 दिनों की घरेलू खपत के लिए पर्याप्त है। खाद्य मंत्रालय ने कहा था कि आयात शुल्क बढ़ाने का निर्णय घरेलू तिलहन किसानों को बढ़ावा देने के सरकार के चल रहे प्रयासों का हिस्सा है। नई सोयाबीन और मूंगफली की फसल अक्तूबर 2024 से बाजारों में आने की उम्मीद है।