अमेरिकी केंद्रीय बैंक की दरों में वृद्धि का भारत में विदेशी निवेश पर नहीं होगा असर
मुंबई- अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में 0.50 फीसदी कटौती का भारत में विदेशी निवेश पर कोई महत्वपूर्ण असर पड़ने की संभावना नहीं है। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा, फेडरल रिजर्व ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा फैसला किया है, लेकिन आरबीआई भारतीय अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए दर में कटौती का फैसला करेगा।
सेठ ने बृहस्पतिवार को कहा, अमेरिकी केंद्रीय बैंक का फैसला भारत सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है। हमें यह देखना होगा कि अमेरिकी ब्याज दरों का स्तर कहां है? अन्य अर्थव्यवस्थाओं के बाजार कैसा व्यवहार करते हैं। फेडरल रिजर्व ने बुधवार की देर रात चार साल बाद ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की कटौती किया था।
सेठ ने कहा, भारत में ब्याज दर कटौती पर फैसला आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) उचित समय पर लेगी। उनका निर्णय इस पर आधारित है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए क्या अच्छा है। एमपीसी की बैठक अगले महीने होनी है।
भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कदम का असर भारत पर कम होगा, क्योंकि दर पहले से ही बहुत ज्यादा थी। भारतीय शेयर बाजार पहले से ही निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। कुल मिलाकर दर में कटौती उभरते बाजारों के लिए सकारात्मक है।
पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल के अनुसार, हमें उम्मीद है कि फेडरल रिजर्व के फैसले से इक्विटी पर रिटर्न कम हो सकता है। सोने की कीमतें बढ़ सकती हैं। कुछ विश्लेषकों का माननहहै कि अब उभरते बाजारों में भी दरें घट सकती हैं। इस फैसले से रुपया मजबूत होगा। आरबीआई ने महंगाई को कम करने के लिए फरवरी 2023 से रेपो दर को 6.50 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है।